सुबह का भूला
प्रीति शर्मा "असीम"
सोलन हिमाचल प्रदेश
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सुबह का भूला,
अगर शाम तक अपनी,
गलती मान जाता है।
जिंदगी की अहमियत,
वक्त की कद्र,
अपनों का दर्द,
दुआओं का असर,
पहचान जाता है।
उसकी भूल को,
शाम तक,
हर कोई,
भूल जाता है।
सुबह का भूला
अगर शाम तक
जिंदगी की कद्रों-कीमतों को,
पहचान जाता है।
प्यार की,
कोई कीमत नही,
यह जान जाता है।
उसकी भूल को,
शाम तक,
हर कोई भूल जाता है।
सुबह का भूला,
अगर शाम तक भी......
नही समझ पाता है।
अपने साथ,
कई अपनों की,
भावनाओं को ठेस जाता है।
फिर वो जिंदगी भर,
नहीं समझ पाता है।
परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम"
निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश
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