संवाद होना चाहिए
चन्द्रेश टेलर
पुर (भीलवाडा़) राजस्थान
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अपनों में हो भले ही वैर भाव,
अपनो में हो कितना भी टकराव,
टूटते बिखरते रिश्तो के बीच में भी,
अहं की बर्फ गलाने के लिए,
समर्पण की चाह होनी चाहिए....
नित निरंतन संवाद होना चाहिए......।।
घुट रही है संवेदनाएँ हर पल,
मनुज दनुज मे नित परिवर्तित,
गुम सुम होती रिश्तों की मिठास,
जरा सी बातों मे खींचती तलवारें,
मिटाने इन बढती दीवारों के लिए,
स्व आत्म साक्षात्कार होना चाहिए...
नित निरंतर संवाद होना चाहिए.......।।
जम रही बर्फ नफरतों के बाजार में,
जहर उगलती जनता नित प्रतिदिन,
धर्म, जाति के ठेकेदार खुश होतें,
जगाने आशा की किरणो के लिए,
मानवता से प्यार होना चाहिए....
नित निरंतर संवाद होना चाहिए.......।।
एक विषाणु से सहमी पूरी दुनिया,
लॉकडाउन मे दुबका हुआ इंसान,
अवसादों से घिरे संपूर्ण संसार में,
जीवन और मरण के बीच अंतिम,
एक अनूठा संवाद हो...