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मेङ पर बैठा संगिनी साथ

इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
गोरखाना, नोहर (राजस्थान)
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देखा भी तो क्या देखा
अगर देखा नहीं गोरखाना।
देखता हुं दृश्य अब जब मैं
मेङ पर खेत की
बैठा संगिनी साथ।
यह हरा ठिगना मौठ
बांधे मुरैठा रंगिन शीश पर,
फूलों से सजकर खङा हैं।
देखा भी तो क्या देखा,
अगर देखा नहीं गोरखाना।

बीच में बाजरी हठिली
देह पतली, कमर लचीली
बांध शीश पर चांदी मुकुट
लहर-लहर लहराव है
देखा भी तो क्या देखा
अगर देखा नहीं गोरखाना।

और ग्वार की न पूछो,
सबसे अलग अकङ दिखावै।
हरे पत्तों से लदा फंदा हैं
हरे पन्ने सी फली चमकावै है।
प्रकृति अनुराग रस बरसावै है।
देखा भी तो क्या देखा
अगर देखा नहीं गोरखाना।।

परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
उपनाम : “नोहरी”
पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग
माताजी का नाम : कांता देवी
अर्धांगिनी का नाम : माया देवी
जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१
सम्प्रति : शिक्षक
शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड
निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला- हनुमानगढ़ (राजस्थान)
प्रकाशित रचनाएं : “समरसता के अग्रदूत” साझा काव्य संकलन मुख्य सम्पादक, “सृजन सागर के मोती” साझा काव्य संकलन उपसंपादक, “इंद्र का जाल” प्रकाशन ज़ारी… वर्तमान में विश्व हिंदी सृजन सागर मंच के बतौर अध्यक्ष
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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