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कुण्डलियाँ

नैना रतनारे
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नैना रतनारे

तेज कुमार सिंह परिहार सरिया जिला सतना म.प्र. ******************** कुण्डलिया नैना रतनारे सुघर, कंचन काया देहिं। कच घुँघराले कुच शिखर मन बस में करि लेहिं।। मन बस में करि लेहिं, अधर टेसू सी लाली। यौवन है मदमस्त, भरी मदिरा की प्याली।। लखि टी के अस रूप, न मुहुं से निकले बैना। चैन ले गये छीन, नशीले उनके नैना।। परिचय :- तेज कुमार सिंह परिहार पिता : स्व. श्री चंद्रपाल सिंह निवासी : सरिया जिला सतना म.प्र. शिक्षा : एम ए हिंदी जन्म तिथि : ०२ जनवरी १९६९ जन्मस्थान : पटकापुर जिला उन्नाव उ.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिं...
बेटी कभी न बोझ
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बेटी कभी न बोझ

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** (१) करना मत तुम भेद अब, बेटा-बेटी एक। बेटी प्रति यदि हेयता, वह बंदा नहिं नेक।। वह बंदा नहिं नेक, करे दुर्गुण को पोषित। बेटी हो मायूस, व्यर्थ ही होती शोषित।। दूषित हो संसार, पड़ेगा हमको भरना। संतानों में भेद, बुरा होता है करना।। (२) बेटा कुल का नूर है, तो बेटी है लाज। बेटा है संगीत तो, बेटी लगती साज़।। बेटी कभी न बोझ, बढ़ाती दो कुल आगे। उससे डरकर दूर, सदा अँधियारा भागे।। जहाँ पल रहा भेद, वहाँ तो मौसम हेटा। नहिं किंचित उत्थान, जहाँ बस भाता बेटा।। (३) गाओ प्रियवर गीत तुम, समरसता के आज। सुता और सुत एक हैं, जाने सकल समाज।। जाने सकल समाज, बराबर दोनों मानो। बेटी कभी न बोझ, बात यह चोखी जानो।। संतानों से नेह, बराबर उर में लाओ। फिर सब कुछ जयकार, अमन के नग़मे गाओ।। (४) जाने कैसी भिन्नता, मान रहे हैं लोग।...
राष्ट्रप्रेम की कुंडलिया
कुण्डलियाँ

राष्ट्रप्रेम की कुंडलिया

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** मातृभूमि चंदन है माटी यहाँ, तिलक लगाएँ भाल। जोड़ें मन संवेदना, रखिए खून उबाल।। रखिए खून उबाल, देशहित को अपनाएँ। गर चाहें अधिकार, कर्म पहले दिखलाएँ।। कहे अमित यह आज, हृदय से हो अभिनंदन। अपना भारत देश, यहाँ की माटी चंदन।। तिरंगा- १ रंग तिरंगा देखिए, भारत की है शान। वैभव पूरे देश का, जनगण मन की आन।। जनगण मन की आन, एकता का यह दर्पण। एक सूत्र में राष्ट्र, करें सब प्राण समर्पण।। कहे अमित यह आज, गगन दिखता सतरंगा। सदा उठाकर भाल, करें हम नमन तिरंगा।। तिरंगा- २ ध्वजा तिरंगा देखकर, अरिदल भी घबराय। साथ हवा के शान से, झंडा जब लहराय।। झंडा जब लहराय, गगन में अतिशय फर-फर। केसरिया को देख, शत्रु सब काँपे थर-थर।। कहे अमित यह आज, लगे रिपु कीट पतंगा। आन-बान यह शान, राष्ट्र की ध्वजा तिरंगा।। तिरंगा- ३ ...
प्रथम पूज्य गणराज
कुण्डलियाँ, छंद

प्रथम पूज्य गणराज

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुण्डलियाॅं छंद गणपति बप्पा मोरया, प्रथम पूज्य गणराज। प्रथम नमन है आपको, पूरण करिए काज।। पूरण करिए काज, सभी सुख के तुम दाता। तुम हो कृपा निधान, जन्म-जन्मो से नाता।। कहे राम कवि राय, गणों के तुम हो अधिपति। हरिए सकल विकार, हमारे बप्पा गणपति।। वंदन गणपति का करें, और धरें उर ध्यान। इनके शुभ आशीष से, मिलता है सद्ज्ञान।। मिलता है सद्ज्ञान, देव हैं परम कृपाला। गज मस्तक हैं नाथ, धरे हैं देह विशाला।। कहे राम कवि राय, करें इनका अभिनंदन। गूॅंज रहा जयकार, जगत करता है वंदन।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
पुतले का दहन
कुण्डलियाँ, छंद

पुतले का दहन

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां - छंद करके पुतले का दहन, हर्षित है इंसान। रावण अब मारा गया, कहता है नादान।। कहता है नादान, इसी भ्रम में वह जीता। पुतले को निज हाथ, जलाते सदियों बीता।। कहे राम कवि राय, जोश हिय में वह भरके। मना रहा है पर्व, दहन पुतले का करके।। मरना रावण का नहीं, है इतना आसान। जब तक के अपने हृदय, भरा हुआ अभिमान।। भरा हुआ ‌अभिमान, यही रावण कहलाता। फिर पुतले पर क्रोध, व्यर्थ में क्यों दिखलाता।। कहे राम अभिमान, हमें है निज का हरना। तब होगा आसान, दुष्ट रावण का मरना।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप ...
कुंडलियाँ
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कीर्ति मेहता "कोमल" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देख शिकारी आदमी, बिना लिए हथियार। तन पर उजला चैल है, मन में काली धार।। मन में काली धार, चले हैं वो व्यापारी। बिना लगाए दाँत, डसे है ये विषधारी।। कोमल होती दंग, फँसे जनता बेचारी। नेता करते घात, धूर्त हैं देख शिकारी।। बैठ शिकारी राह में, घात लगाए एक। सरल लक्ष्य को ताकता, आँख वहीं पर टेक।। आँख वहीं पर टेक, बालिका सुंदर प्यारी। जाल बिछाता देख, कलुष देखो व्यभिचारी।। कोमल करती क्रोध, पाप की ये बीमारी। हरो दुष्ट के प्राण, राह में बैठ शिकारी।। बनो शिकारी साधकों, शब्द बिछाओ जाल। रचो काव्य की योजना, छंद सोरठा माल।। छंद सोरठा माल, नाथ को करना अर्पण।। सुनो ध्वनि करताल, दमकना फिर तुम दर्पण।। कोमल बड़ी प्रसन्न, महालय है हितकारी। श्रोता से पा मान, शब्द के बनो शिकारी।। बनी शिकारी आज मैं, देखूँ कर की ता...
पूनम
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पूनम

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां पूनम की आई तिथी, दिन है आज विशेष। शिव की करलो साधना, रहे नहीं कुछ शेष।। रहे नहीं कुछ शेष, भरे झोली जो खाली। पूरण हो हर काम, सदा आए खुशहाली।। कहे *राम*कवि राय, सभी को खुशियाॅं दें हम। लेकर खुशी अपार, आज आई है पूनम।। पूनम की शुभ चाॅंदनी, जगमग करे प्रकाश। श्वेत धवल है रश्मियाॅं, तम का करें विनाश।। तम का करे विनाश, सभी के मन को भाए। नील गगन में आज, रहें ‌तारे हर्षाए ।। कहे *राम*कवि राय, जपो शिव शंकर बम-बम। शिव जी का है वार, तिथी पावन है पूनम।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
घायल
कुण्डलियाँ, छंद

घायल

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां छंद घायल की गति जानकर, करें त्वरित उपचार। मानवता का धर्म है, यह है शुभ ब्यवहार।। यह है शुभ ब्यवहार, इसे है सदा निभाना। खुद सहकर के कष्ट, उसे है तुम्हें बचाना।। कहे *राम* कवि राय, जमाना होगा कायल। मिटे सकल संताप, स्वस्थ होगा जब घायल।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताए...
बाबा गुरु घासीदास
कुण्डलियाँ

बाबा गुरु घासीदास

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** बाबा घासीदास हैं, दया धरम के मूल । आए हैं संसार में, सबके हरने शूल ।। सबके हरने शूल, ज्ञान का दीप जलाए । सत्य मार्ग पर आज, हमे चलना सिखलाए ।। कहे *राम*कर जोर ,बना लें हिय को ढ़ाबा । चलें सभी उस ओर ,दिखाए पथ जो बाबा ।। ज्ञानी हैं संसार में, सबमें उनका नाम । आए इस कलिकाल में, करने सुंदर काम ।। करने सुंदर काम, सत्य का मार्ग दिखाया । दिया सभी को ज्ञान, प्रेम का फूल खिलाया ।। कहे *राम*मतिमंद ,शुद्ध है इनकी वाणी । बाबा घासीदास, परम हैं यह तो ज्ञानी ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवित...
वीर शहीद
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वीर शहीद

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ********************                           (१) वीरों के बलिदान को, कैसे भूलें देश । देते हैं निज प्राण वे, खुद सहकर के क्लेश ।। खुद सहकर के क्लेश, देश की लाज बचाते । तन मन सब कुछ वार, मौत को गले लगाते ।। हैं शहीद वे लाल, देश के असली हीरो । रखें देश की भाल, सदा ऊँचे ये वीरों ।। (२) धरती माता के हुए, हैं सपूत कुछ लाल । लाज बचाने देश की, वरण किए वे काल ।। वरण किए वे काल, जहाँ में अमर हुए हैं । हो शहीद वर माल, गले में पहन लिए हैं ।। उनके यश की गान, आज भारत माँ करती । वीरों की सम्मान, सदा करती है धरती ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
दीपावली पर्व पर कुण्डलियाँ
कुण्डलियाँ

दीपावली पर्व पर कुण्डलियाँ

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** लाई है दीपावली, खुशियों की सौगात। माता लक्ष्मी कर रहीं, कृपा की बरसात।। कृपा की बरसात, भरे खुशियों से झोली। भर देती भंडार, द्वार जिसने है खोली।। कहे राम कर जोर, मनाओ मन से भाई। रिद्धि-सिद्धि शुभ लाभ, मातु है संग में लाई।। जैसा यह त्योहार है, वैसा इसका नाम। जगमग इस संसार को, करना इसका काम।। करना इसका काम, अंधेरा दूर भगाए। मन के सारे क्लेश, दिवाली पर्व मिटाए।। कहे राम कवि राय, करो मिलकर कुछ ऐसा। देख जिसे संसार, करें सब उसके जैसा।। गोवर्धन पूजा करें, मिलकर सारे लोग। नाना विध ब्यंजन बना, देते छप्पन भोग।। देते छप्पन भोग, द्वारिकाधीश पधारे। नंदनंदन घनश्याम, यही हैं ईष्ट हमारे।। कहे राम मतिमंद, करें सब इसका वर्धन। मन में रख गोपाल, करें पूजा गोवर्धन।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : क...
पुष्पांजलि
कुण्डलियाँ

पुष्पांजलि

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** माता लेकर आ गई, खुशियों का अंबार। भक्तों के हित के लिए, रहती हैं तैयार।। रहती हैं तैयार, लुटाती हम पर ममता। साधक सिद्ध सुजान, इसे है अनुभव करता।। कहे राम कर जोर, बनालो उनसे नाता। देती शुभ आशीष, सभी को देवी माता।। माता रानी आ गई, शैलपुत्री के रूप। नवदुर्गा में है प्रथम, करती कृपा अनुप।। करती कृपा अनुप ,बड़ी है ये वरदानी। ममता मयी माता, यही है जग कल्याणी।। कहे राम कर जोर, न कोई इनसा दाता। रखलो मुझको पास, शरण में अपनी माता।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
आया शुभ दिन क्वांर का…
कुण्डलियाँ

आया शुभ दिन क्वांर का…

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** आया शुभ दिन क्वांर का, ले पितरों को साथ । इन्हे मनालो प्रेम से, चरणों में धर माथ ।। चरणों में धर माथ, श्राद्ध तर्पण सब कर लो । इनका शुभ आशीष, शीश पर अपने धर लो ।। कहे राम कर जोर, मिले नित इनका साया । यह शुभ अवसर आज, खुशी लेकर के आया ।। पाया हमने पुण्य से, मानव का तन सार । नीति धर्म संस्कार का, करलें खूब विचार ।। करलें खूब विचार, नेक राहों पर चलना । ऐसा हो ब्यवहार, सदा अनुशासित रहना ।। कहे राम कर जोर, प्रभु की सब है माया । यह उसका उपहार, आज है हमने पाया ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
जनक वंदना
कुण्डलियाँ, छंद

जनक वंदना

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** जनक वंदना करीये, जनक महेश समान। हमेशा सलाह लिजिये, करनी हो आसान। करनी हो आसान, कभी नाहीं दुख होवे। जो रोजे संतान, जनक चरणा में सोवे। जग में नितिन पाये, आशीषा देता चमक। देव वंदन गाये, होते जी ऐसे जनक।। परिचय :- नितिन राघव जन्म तिथि : ०१/०४/२००१ जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर पिता : श्री कैलाश राघव माता : श्रीमती मीना देवी शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से, कम्प्यूटर ओपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट डिप्लोमा, सागर ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट बुलन्दशहर से कार्य : अध्यापन और साहित्य लेखन पता : गाँव- सलगवां, तहसील- अनूपशहर जिला- बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
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कुण्डलियाँ, छंद

कुण्डलियाँ छंद

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** कुण्डलियाँ/दिठौना १ लगा दिठौना माँ मुझे, ले जातीं बाजार। और दिलातीं हैं वहाँ, चुनरी गोटेदार।। चुनरी गोटेदार, खिलातीं रबड़ी हलुवा। ललचाते हैं देख, मुरारी मोटू कलुवा।। बोलीं वह पुचकार, खरीदो एक खिलौना। माता का यह लाड़, सहेजूँ लगा दिठौना।। २ लगा दिठौना देख कर, करते सब उपहास। बोल रहे हैं सब मुझे, मत आना तुम पास।। मत आना तुम पास, न कोई रंगत गोरी। मोटा- सा है गात, सभी करते बरजोरी।। सुन कर मेरी बात, उतारें माँ धड़कौना। लिया बलैयाँ खूब, दुबारा लगा दिठौना।। कुण्डलियाँ/पैसा ३ पैसे दो अम्मा मुझे, जाऊँगी बाजार। लेने गुड़िया के लिये, लहँगा गोटेदार।। लहँगा गोटेदार, सितारे सलमा वाला। चुनरी होगी लाल, गले की लूँगी माला।। गजरा लाऊँ श्वेत, सजेगी चोटी ऐसे। जैसे चंदा रात, मुझे दो अम्मा पैसे।। ४ पैसे के बल पर बसे, बेटी का संसार। आँखों में सपने लिये, बाप खड़ा लाचार।। बा...