माला के मोती
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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देख-देख कर पीड़ा होती।
बिखर रहे, माला के मोती।।
तंत्र बना अब लूट तंत्र है,
है बस्ती का मुखिया बहरा।
गली-गली में दिखी गरीबी,
कितने ही दर, तम है गहरा।।
झूठ ठहाके लगा रहा है,
सच्चाई छुप-छुपकर रोती।
बहुतायत झूठे नारों की,
मिलते हैं वादों के प्याले।
कहते थे सुख घर आयेंगे,
मिले पाँव को लेकिन छाले।।
रोज बयानों के खेतों में,
बस नफ़रत ही फसलें बोती।
जाने कितनी ही दीवारें,
मन से मन के बीच बना दी।
बात किसी की कब सुनता है,
मौसम हठी, ढीठ, उन्मादी।।
उसकी बातें, उसकी घातें,
लगता जैसे सुई चुभोती।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : नि...