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सवैया

विवशता विछोह की
सवैया

विवशता विछोह की

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी (उत्तर प्रदेश) ******************** मंदिरा सवैया राह निहारि थकीं अँखियाँ नहिं दीखतु राउरु काउ करूँ ? आसु नहीं पतियातु कतौ जसि लागतु खोहु म डूबि मरूँ । खासु नहीं कहुँ जे दुलराबयि अंधि कुँआ बिचु बैठि सरूँ । हे सखिया कछु तौ बतलाउ त कैसि हिया भलु धीरु धरूँ ।। लाजु न लाबतु ढ़ीठु बड़ौ सहुँआतु न मोहिं त का करिहौं । भायि गयो दुसरौ हउ लागतु दूरि बसौ जहु का धरिहौं । यादु दिलाइतु बातनु ते जउ भेंटउँ ताहि मुँहा जरिहौं । हाय सखी मन कै बतिया दइझारु बिना कँहवाँ गरिहौं ।। भोरहिं जागि मनाबतु देउ सनेसु हमारु जिया कहिहौ । रातिउ नींदु न आबतु बाहि न चैनु दिना भलुके रहिहौ । साँझि भये हरहा घरु आबतु साँसरि कूँ कबु लौ डहिहौ । खातु अहौ छिंटकानि कँरौंदु जही भलु मालु कहौ खहिहौ ?? मीतु सुनौ जहु मादकु यौबनु एकु दिना ढ़रिकै सचु है । चाँदु अमा...
मनहर के आने का संदेश पाने पर मनहरी की मनोदशा
आंचलिक बोली, छंद, सवैया

मनहर के आने का संदेश पाने पर मनहरी की मनोदशा

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी (उत्तर प्रदेश) ******************** सुंदरी सवैया छंद (अवधि भाषा) मुसकातु अहै उ कपाटु धरे मनवा हुलरै पियवा अजु आवै । भिनही कगवा मुँडरा चढ़िके कहवाँ-कहवाँ भलुके दुलरावै । ननदा बिहँसै जरि जायि हिया सनकी-मनकी करि खूबि खिझावै । ढुरकैं जबहीं सुरजू तबहीं फँसि जायि परानु कछू नहिं भावै ।।१।। परछायि दिखै दुअरा दुलरा दुलही जियरा खुलिके हरसावै । कबहूँ अँगना महिं नाचि करै कबहूँ ननदा बहियाँ लिपिटावै । चुपके-चुपके नियरानि जबै अँखियाँ लड़ितै घुँघटा लटकावै । कहिजा मँखना अँगना तड़पै कबुलौं दहकै कसिके समुझावै ।।२।। तुहिंसे लड़ना सजना जमुके बतिया दुइठूं करना तुम नाहीं । इसकी उसकी परके घरकी नथिया-नकिया धरना तुम नाहीं । फिरकी फिरकी अपनी-अपनी भलुके भरिके फँसना तुम नाहीं । रचिके बचिके चँदना बहकौ कपरा सबुके सजना तुम नाहीं ।।३।। पतझारि द...
सोहत श्याम लला मन मोहक
सवैया

सोहत श्याम लला मन मोहक

आचार्य नित्यानन्द वाजपेयी “उपमन्यु” फर्रूखाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** चकोर सवैया भगण+७+गुरु लघु १. सोहत श्याम लला मन मोहक, बाजत है मुरली निधि बाग। नाथत कालिय नाग भगावत, नाचत गोपिन के अनुराग।। सूर सुनावत गीत मनोहर, मोहन मोहन गावत जाग। नंद यशोमति लाल बने ब्रज, ग्वालिन के शुभ जागत भाग।। २. चंदन लेप लिए कुबड़ी तन, हृष्ट बना करते अनुराग। मुष्टिक मुष्टिक मार गिरावत, और नसावत दुष्ट विभाग।। कंस विनाशनहार महाप्रभु, उद्धव ज्ञान करावत त्याग।। दामिनि नीलम मेरु पड़ी तिमि, दंत प्रभा चमके मुख भाग।। ३. पांडव पक्ष रहे मधुसूदन, अर्जुन हेतु सुनावत ज्ञान। यज्ञ सुता तन चीर बढ़ा प्रभु, आप बने शुभता पहिचान।। लाज बचावनहार सखी तन, चीर बढ़ा तुम राखत मान।। हे! हरि के अवतंस प्रभो तुम, हो करुणा निधि श्री भगवान।। परिचय :- आचार्य नित्यानन्द वाजपेयी “उपमन्यु” जन्म तिथि : ३० जुल...
सुन्दरी सवैया
सवैया

सुन्दरी सवैया

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** सुन्दरी सवैया छन्द २५ वर्णों का है। इसमें आठ सगण और एक गुरु का योग होता है। इसका दूसरा नाम माधवी है। कण्ठस्थ करने योग्य एक सवैया याद कीजिए। गुणगान समान न गायन है, जयगान समान बखान न कोई।। अपमान समान निशान नहीं, अभिमान समान गुमान न कोई।। अनुमान समान मिलान नहीं, अरमान समान उड़ान न कोई।। कवि "प्राण" समान अजान नहीं, मुसकान समान क‌मान न कोई।। परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाश...