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श्लोक

ईश्वर का संदेश
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ईश्वर का संदेश

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** रचा है सृष्टि को स्वयं मैने, और मैं ही इसको चला रहा हूं। जो माया में चिपके भूल मुझको, उन्हें मैं प्रतिदिन बुला रहा हूं। रचा है सृष्टि ... दी श्रेष्ठ योनि मनुज को मैने, बुद्धि और विवेक भी दिया। वचन दिया था जपूंगा तुझको, पर इसने वो नहीं है किया। दिया है स्वातंत्र करम का इसको, खुद इसका लेखा बना रहा हूं। रचा है सृष्टि ... मेरी ही माया मे फंस रहे सब, जो कर दिखाया उसे न माना। हैं गाड़ी, बंगला सदा से नश्वर, पर जन्म का ध्येय इसी को माना। न मद में धन, ये डूब जाए, इसी से ठोकर खिला रहा हूं। रचा है सृष्टि ... हर युग में रावण और कंस जन्मे, मिटाया उनको स्वयं ही आकर। रिझा लिया मीरा, सूर, तुलसी, ने मेरी महिमा को लिख और गाकर। अजामिल, गनिका थे घोर पापी, जगे तो मुक्ति दिला रहा हूं। रचा है सृष्टि ... ...
प्राण प्रणीत “शिवलहरी”
श्लोक

प्राण प्रणीत “शिवलहरी”

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** श्लोक १ ===== जय नन्दीश नदीश निधीश्वर नीर निशीश नटीश प्रभो। चिर चण्डीश फणीश शशीधर शीश शिरीश शिखीश प्रभो।। प्रिय पिण्डीश पतीशपतीश्वर वीर यतीश व्रतीश प्रभो। मम संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।१।। श्लोक २ ====== नव नीतीश क्षितीश सतीश्वर धीर सतीश सतीश प्रभो। कलि कालीश कलीश कवीश्वर कीश करीश कटीश प्रभो।। पद पाणीश परीश कपीश्वर ईश घटीश गतीश प्रभो। हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।२।। श्लोक ३ ===== शशिमौलीश मनीष मतीश्वर मूल मुनीश महीश प्रभो। जय गौरीश गिरीश गतीश्वर हीश हरीश तरीश प्रभो।। जय देवीश दिवीश दिगीश्वर द्वीश दिगीश दृगीश प्रभो। हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।३।। श्लोक ४ ===== जय वारीश जिगीषु तमीश्वर वेदि विधीश विधीश प्रभो। जय भृङ्गीश सुधीश बली...