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हे राम मेरे
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हे राम मेरे

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** हे राम मेरे तुम्हें धन्य कहूं, या तेरी भक्ति की प्रशंसा कहूं।। मैं नर हूं तुम नारायण हो, में दास हूं तुम हो प्रभु मेरे हे नाथ सकल संपदा सभी, हे भगवान तुम्हारे चरणों में।। जब जब नाम लेती हूं मैं प्रभु स्मरण तब करती हूं भक्ति में तेरे हैं सच्चा धन राम नाम का मनका जपती हूं।। है कठिन समय यदि जीवन में, तो सरल राम का नाम भी है क्यों तड़प उठाइए मानव मन हां जब जाना राम के धाम ही है।। परिचय :-  श्रीमती प्रतिभा दुबे "आशी" (स्वतंत्र लेखिका) निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छा...
आज महानिशि पुण्य प्रदायक
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आज महानिशि पुण्य प्रदायक

अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत" निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** हे देवों के देव, सदाशिव तुम हो सृष्टि का आधार। हे त्रिनेत्र, हे महाकाल प्रभु, कृपा करो हे जगदाधार। भूत नाथ, भोले भंडारी, कोर कृपा की तुम कर दो। पार्वती पति, महाकाल तुम, खुशियाँ जीवन में भर दो। है शिव रात्रि परम सुखदायी, चहुँ दिशि मंगल छाया है। पाणिग्रहण माँ पार्वती सँग, शिव शक्ति की माया है। पाश विमोचन, हे शशि शेखर, दया दृष्टि हम पर कर दो। सूख गई निष्प्राण देह में, प्राण पिनाकी तुम भर दो। सात्विक, अष्टमूर्ति, गिरिधन्वा, मन उमंग खुशियाँ भर दो। अंधकार हट जाए उर से, कोर कृपा की तुम कर दो। आज 'महा निशि' पुण्य प्रदायक, गौरी,शंकर व्याहेंगे। मधुर कंठ से गीत ब्याह के, सभी भक्त मिल गाएंगे। हो आधार सृष्टि के तुम ही, जग के पालनहार तुम्हीं। बीच भँवर हिचकोले खाता, कर दो बेड़ा पार तुम्ही...
तुम शिव बन जाओ
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तुम शिव बन जाओ

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** तुम शिव बन जाओ जग के गरल को ग्रीवा में ग्रस लो नागों की फुफकार पर, नागेश्वर बन जाओ। अपनी परिधि से दूर कर दो कुत्सित समर को मन: अजिर में शीतलता दो तुम सोमनाथ बन जाओ। दैत्यराज भी आएँ लक्ष्य से भटकाने तुम्हें अडिग रहकर उसके लिए तुम महाकाल बन जाओ। जो आए विनती लेकर दर पर तुम्हारे, उसके लिए तुम भोलेनाथ बन जाओ। हर साँस में भटकते, तड़पते प्यासे की तुम आस बन जाओ उनके तुम विश्वनाथ बन जाओ तुम शिव बन जाओ। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका) शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती। पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्राय...
शिव स्त्रोत
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शिव स्त्रोत

गौरव श्रीवास्तव अमावा (लखनऊ) ******************** ठंडी ये पवन कहें, ये बारिशों की छन कहें, नमो नमः भी बोल दो ये दिल कहें या मन कहें।। हरा भरा गगन हुआ, चली पवन सुखन हुआ। अवलोक दृश्य का किया प्रसन्नचित्त मन हुआ।। जिनके शीश गंग है, लिपटा गले भुजंग है। भस्म से सजा हुआ ही जिनका अंग-अंग है। नैना बने विशाल हैं, मस्तक पे चन्द्र भाल है। मन्त्र मुग्ध कर रहा, शिव रूप ही कमाल है।। त्रिनेत्र धारणी शिवा, हैं मोक्ष दायनी शिवा। विष का पान करनें वालें शोध दायनी शिवा।। एक हस्त डमरु साजे, दूसरे त्रिशूल हैं। त्रिनेत्र धारणी शिवा हरते सबके शूल है।। वो राक्षसों को मारते, वो संकटों को तारते। अधर्मियों को धर्म के त्रिशूल से जो मारते।। चरित्र भी विचित्र है, शिव रूप ही पवित्र हैं। शिव रूप की ये सौम्यता, हृदय में एक चित्र है।। शिव देखते जहां कहीं, ये जग चले वही वहीं। वो ...
संपूर्ण दर्शन हो तुम
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संपूर्ण दर्शन हो तुम

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** तुम पूर्ण दर्शन हो कन्हैया दर्शन के दर्शन करवाते हो तुममें डूब सकें हम तो जीवन नौका पार कराते हो। जो न समझा तुमको हमने काया नगरी न सुधरेगी ऊबड़-खाबड़ पगडंडी सी प्राणों की लकीर उभरेगी। शिशु काल में रिपु पहचाना बाल्यकाल में प्रेम दिखाया संपूर्ण स्नेह के संपूर्ण विरह को तुमने हमको सब समझाया। किशोरकाल के पहले पग पर समरनाद कर युद्ध किया अगणित कंसों को मारा मथुरा को नव जन्म दिया। समयानुसार आन पड़ी तो रण छोड़ गए, द्वारिका बसाई कर्म-क्षेत्र में जो बाधा बन आया यह तन छोड़ा, परमगति पाई। कब क्या करना है, मानव को तुमने हर पल सिखलाया सीमा‌ पार करें यदि कोई तुरत सुदर्शन चक्र चलाया। सखा बने तो तुमसा कोई मित्र सुदामा के जीवनदाई सारथि बनकर पार्थ संभाला यज्ञ राजसूय में पात उठाई। गुरु बन तुमने गीता गाई जीवन पक्...
हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ
भजन, स्तुति

हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कहां छुपे हो कान्हा तुम कहां सुदर्शन चक्र तुम्हारा कहां तुम्हारी गीता है क्यों चुप पांचजन्य तुम्हारा। क्यों इतने दुर्योधन पलते हैं क्यों शिशुपाल दिनों दिन सीमा पार किया करते हैं सख्यभाव है कहां तुम्हारा। न्याय दिलाने पांडव को तुम बने सारथी, गीता गाई आज पुकारे भारतमाता मन क्रंदन, अंखियां भर आईं। द्रोपदियों का नित चीरहरण कैसे यह तुम सहते हो छत्तिस टुकड़े हो जाएं क्यों न न्याय दिलाते हैं। कबतक मन को थीरज दें हे कान्हा तुम आ जाओ फिर से गीता आन रचो हर भारतवासी के मन आन बसो। सबके मन को स्वछ बनाओ पुनः जीवन का अर्थ बताओ सबको धुन बंसी की सिखाओ हे कान्हा, तुम आ जाओ हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ। (बंसीधुन=प्रेमधुन) परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिट...
हें अनादि परमेश्वर मेरे
कविता, स्तुति

हें अनादि परमेश्वर मेरे

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** जिसका आदि अंत न होता, वह अनादि कहलाता। अंत रहित, प्रभु सदा सर्वदा, हैं अनंत फल दाता। जो शाश्वत हैं, सदा सनातन, वह अनादि भगवन हैं। गर्भवास से मुक्त रहें जो, बसते जो जन मन हैं। आदि अंत से रहित अविद्या, दोष न जिसको होता। नस-नाड़ी बंधन से विलगित, कोई जनक न होता। जो प्रारंभ नहीं होता है, सदा सनातन रहता। आदि रहित उस परम तत्व को, मानव भगवन कहता। जिसकी प्रकृति अनंत अनादी, परमात्मा है प्यारा। सदा अजन्मा, शाश्वत है जो, सारे जग से न्यारा। प्रकृति, जीव, परमात्मा तीनों, आदि अंत से ऊपर। नाशवान वह है दुनिया में, जो आया है भूपर। हैं अनादि परमेश्वर मेरे, अंत रहित हैं स्वामी। सारे जग के पालन कर्ता, हैं प्रभु अंतर्यामी। रूप, रंग, आकार रहित प्रभु, हैं अनादि कहलाते। प्रभु से सब जन्मे, सब जाकर, प्रभु ...
हे! कृष्ण-कन्हैया
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हे! कृष्ण-कन्हैया

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** द्वापर के है! कृष्ण-कन्हैया, कलियुग में आ जाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। अर्जुन आज हुआ एकाकी, नहीं सखा है कोई। राधा तो अब भटक रही है, प्रीति आज है खोई।। गायों की रक्षा करने को, नेह-सुधा बरसाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। इतराते अनगिन दुर्योधन, पांडव पीड़ाओं में। आओ अब संतों की ख़ातिर, फिर से लीलाओं में।। भटके मनुजों को अब तो तुम, गीतापाठ सुनाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। माखन, दूध-दही का टोटा, कंसों की मस्ती है। सच्चों को केवल दुख हासिल, झूठों की बस्ती है।। गोवर्धन को आज उठाकर, वन-रक्षण कर जाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। अभिमन्यु जाने कितने हैं, घिरे चक्रव्यूहों में। भटक रहा है अब तो मानव, जीवन की राहों में।। कपट म...
आओ माँ कुष्माण्डा
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आओ माँ कुष्माण्डा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** काषाय कल्मष सब जिनसे हैं हारे हे कुष्माण्डा देवी, आओ हमारे द्वारे नवरातों में तेरे भक्त लगाते गुहारे शैलजा भवानी आओ हमारे द्वारे कर जोड़ करें हम‌ विनती तिहारे दु:ख क्लेश सब मिटा दे तू हमारे जय माता दी, कह, भक्त बुलाते सारे गिरिजा भवानी, आओ हमारे द्वारे शक्ति, स्फूर्ति, ज्योति तेरे ही सहारे क्षमा ज्ञान, दया मातु तेरे ही आधारे शत्रु-दल का करे तू ही तो संहारे हे माता पार्वती, आओ हमारे द्वारे स्वागत हेतु लाये हैं नैवेद्य हम सारे आकर बढा जगदम्बिके मान हमारे करुणामयी ! हम हाथ हैं देखो पसारे मातेश्वरी!आ भी जाओ हमारे द्वारे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य से...
द्रोपदी
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द्रोपदी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** क्या दोष मेरा था पांडु पुत्र, जो दांव पर मुझे लगाया है, क्या अबला समझकर मुझको तुमने दाँव पेच पर लगवाया है, क्यों मौन बैठे तुम रहते हो, कहा गया गांडीव धनुर्धर? भीम की गदा की शक्ति कहा, तलवार क्यों पडी धरा पर आज। क्यो झुका हुआ हे मस्तक पितामह का? अधर्म की ओर आज झुका हुआ? बंधे राजधर्म की जंजीरो से है, एक लाज द्रोपदी की लगी है आज। पासो मै हारी है द्रोपदी, द्रुत क्रीड़ा की पासे हे वो बनी, दुर्योधन अधर्मी बुद्धि, दुशाशन निर्वस्त्र करो तुम आज दुशाशन साडी तुम खिंचो निर्वस्त्र करो द्रोपदी को तुम, पाँचो पाँडव हारे बैठे, द्रोपदी ने जब सबको पुकारा है, नही गांडीव चला अर्जुन का है, नही गदा चली भीम की है। अधर्म के आगे धर्मराज, आज मौन हुये भीष्म पितामह है, द्रोपदी की लाज पे आच आज दुसाशन खींच रहा साडी, अबला ...
लक्ष्मी का अवतार राधिका
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लक्ष्मी का अवतार राधिका

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** लक्ष्मी का अवतार राधिका, बरसाने में आई। विष्णु स्वयं, अवतार कृष्ण हैं, गोकुल बजे वधाई। राधा बिना,कृष्ण आधा है, राधा ही कान्हा है। कान्हा बिना,अधूरी राधा, राधा बिन कान्हा है। राधा-माधव, युगल मनोहर, झाँकी सुंदर, प्यारी। करती हैं निर्मूल दुखों को, श्री वृषभानु दुलारी। हैं बड़भाग, राधिका रानी, कृष्ण बने अनुगामी। तीन लोक आधीन आपके, बारंबार नमामि। लीला मधुर,राधिका जी की, अविरल गंगा धारा। सुखद छटा, राधा-मोहन की, मनमोहन अति प्यारा। चरण शरण जो रहे युगल की, पाप, ताप मिट जाते। जनम-मरण के भव बंधन से, सब छुटकारा पाते। विष्णु रूप में जन्मे कान्हा, लक्ष्मी रूप में राधा। युगल रूप जो दर्शन करता, हट जाती है बाधा। देह रुप हैं कृष्ण कन्हाई, बनी आत्मा राधा। कृष्ण अधूरे हैं राधा बिन, बिन का...
सोलह कलाओं के अवतार
स्तुति

सोलह कलाओं के अवतार

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** रमा विष्णु के तुम अवतार, राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम। जब जब नाश धर्म का होता, तब-तब जन्म सुरेश का होता सोलह कलाओं के अवतार, राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम।। बने राम अहिल्या तारी, रूप कृष्ण में पूतना मारी तुम अवतारी गोकुल धाम, राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।। बंसी बजाएँ सबको बुलाएँ, राधा के मुरलीधर घनश्याम बैरन मुरली छीन लई, राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।। रास रचाएँ, गोपी नचाएँ, गोपों के तुम मितवा श्याम जय-जय कृष्ण राधे श्याम, राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।। वृंदावन की कुंज गलिन को, छोड चले तुम राधा के श्याम मथुरा में जा कंस संघारे, यशोदा नंदन तुम्हें प्रणाम।। रणछोड़ भए द्वारिका बसाई, अर्जुन सम्मुख गीता रचाई जय सुखधाम, जय सुखधाम, देवकीनन्दन तुम्हें प्रणाम।। सोलह कलाओं के अवतार, राधाकृष्ण तुम्हे...
श्याम पधारो
गीत, स्तुति

श्याम पधारो

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** रक्षक बनकर श्याम पधारो, ले लो फिर अवतार। पावन भारत की धरती पर, अब जन्मो करतार।। घोर निराशा मन में छाई, मानव है कमजोर। काम क्रोध मद मोह हृदय में, थामो जीवन डोर।। शरण तुम्हारी कान्हा आए, तिमिर बढ़ा घनघोर। अब भी चीर दुशासन हरते, दुष्टों का है जोर।। सतपथ में बाधक बनते हैं, बढ़ते अत्याचार। गीता का भी पाठ पढ़ा दो, व्याकुल होते लाल। नैतिकता की दे दो शिक्षा, बन कर सबकी ढाल।। आनंदित इस जग को कर दो, चमकें सबके भाल। धर्म सनातन हो आभूषण, बदले टेढ़ी चाल।। राग छोड़कर पश्चिम का हम, रखें पूर्व संस्कार। त्याग समर्पण पाथ चलें नित, हमको दो वरदान। शील सादगी को अपनाकर, नित्य करें उत्थान। सत्य निष्ठ गंम्भीर बनें हम, दे दो जीवन दान। जीवन सार्थक कर लें अपना, कृपा करो भगवान।। मर्यादा के रक्षक प्रभु तुम, ज...
गणेश-वंदना
स्तुति

गणेश-वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे विघ्नविनाशक, बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ । गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। कदम-कदम पर अनाचार है, झूठों की है महफिल आज चरम पर पापकर्म है, बढ़े निराशा प्रतिफल एकदंत हे ! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ । गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।। मोह, लोभ में मानव भटका, भ्रम के गड्ढे गहरे लोभी, कपटी, दम्भी हंसते हैं विवेक पर पहरे रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर, नवल सृजन सरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।। जीवन तो अब बोझ हो गया, तुम वरदान बनाओ नारी की होती उपेक्षा, आकर मान बढ़ाओ मंगलदायी, हे ! शुभकारी, अमिय आज बरसाओ । गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) ...
गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद
स्तुति

गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** अधिनायक अधिपति 'अमित', अभिनंदित अधिलोक। शुभदाता करिये शमन, शरणागत का शोक।। शरणागत का शोक, विश्वमुख वरदविनायक। प्रथम नमन अवनीश, अष्टमंगल अधिनायक।। गुणवंता गुणनिधि गुणिन, गौरीसुत गणराज। सुखदायक शंकरसुवन, सिद्ध कीजिए काज।। सिद्ध कीजिए काज, जयति जय जगत नियंता। 'अमित' अथक अनुनीत, गुणाकर हे गुणवंता।। मोदक, मेवा, मधु सहित, मनोभाव मनुहार। मैं मूरख मतिमंद मति, अर्चन हो स्वीकार।। अर्चन हो स्वीकार, मिले मुझको चरणोदक। 'अमित' अकिंचन भेंट, भावमय मेवा मोदक।। सदा सहायक भक्त के, स्वामी सिद्ध समर्थ। विघ्न विनाशक विघ्नहर, कर सुविमल अव्यर्थ।। कर सुविमल अव्यर्थ, आप ही हो अवधायक। 'अमित' विनय स्वीकार, रहो अब सदा सहायक।। परिचय : कन्हैया साहू 'अमित' (शिक्षक) निवासी : भाटापारा (छत्तीसगढ़) घोषणा : मैं यह शपथ पू...
सृष्टि का आधार नारी
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सृष्टि का आधार नारी

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** नारी की पूजा करिए सब, वह परमेश्वर का वरदान। तन-मन करती सदा समर्पित, जननी प्रज्ञा को दो मान।। है आधार सृष्टि की नारी, करो सदा उसका सत्कार। दुर्गा काली है रणचंडी, नारी देवी का अवतार।। रानी लक्ष्मीबाई साहस, पराक्रमी दुर्गा पहचान। त्यागमूर्ति है वह करुणा की, बसती बच्चों में है जान।। जगजननी माता है नारी, पावन गंगा की है धार। प्रेम त्याग की वह है मूरत, जीवन का अनुपम शृंगार।। नारी धरती का है गौरव, देती सबको दुर्लभ ज्ञान। शत- शत नमन करो नारी को, नित करना उसका जयगान।। लक्ष्मी देवी नारी घर की, नहीं रही वह अबला आज। पुरुषों से भी वह है बढ़कर, उससे उन्नत लोक समाज।। जान देशरक्षा में देतीं , करती रहती हैं बलिदान। राह दिखाती है विकास की, सत्कर्मों की लौकिक खान।। चीर-हरण रोको नारी का, करते क्यों ह...
शिव महिमा
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शिव महिमा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** तुम ही आदि अनादि अनन्त हो घट-घट वासी सर्व दिग् दिगन्त हो गौरा को अमर कथा गुहा में सुनाये उभय कपोतों को भी सहज अमर बनाये सर्वत्र व्याप्त अविनाशी समान्त हो त्रिनेत्र धारी अविकल व प्रशान्त हो सहज प्रसन्न होते, हो अति ही भोले अंग भस्म रमाते, हो गले सर्प डाले सर्व हितकारी शिव सर्वत्र रमन्त हो त्रिशूलधारी डम-डम डमरू बजन्त हो हलाहल पीकर नीलकंठ कहलाये जटा बाँध गंगा, गंगाधर कहलाये भक्तन हितकारी, सदा सर्व सुखन्त हो उर्ध्व अध विराजित, नितान्त एकान्त हो। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में ग...
भक्त और भगवान
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भक्त और भगवान

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** प्रभात वंदना में विनती, अरज सुन लो श्याम जी। भक्त और भगवान की लड़ाई है, अब तुझे सुनना ही पड़ेगा। भक्त की अरज सुन लो, श्याम जी यशोदा मैया के दरबार में, हाजिरी लगाउंगा। भक्त और भगवान की लड़ाई है श्याम जी, यशोदा के दरबार में हार जाओगे। भक्त और भगवान की लड़ाई है तुम्हें सुनना ही पड़ेगा। न सुनोगे तो श्याम जी जन्मो तक लड़ता जाऊंगा। भक्त की अपील सुन लो वरना राधा रानी से अर्जी लगाउंगा । जारी होगा तुम्हें सम्मन भक्त की विनती को सुनना पड़ेगा । भक्त की अरज सुन लो श्यामजी, यशोदा के दरबार में आना पड़ेगा। श्याम जी यशोदा के दरबार में ऐसी दलील दूंगा, भक्त की लड़ाई है, अब तो श्याम जी हार जाओगे। यशोदा के दरबार में रूक्मिणी जी से ऐसी अपील करवाउंगा, भक्त के पक्ष में होंगे सारे फैसले, मेरे श्यामजी...
महादेव
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महादेव

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** शिव शंभू हितकारी महादेव जटाओं में समा गंगा गले में रख नाग। चले विषधारी हरने कष्ट जगत के अनोखी छवि देखते सभी इनकी। ना रह पाता अछूता आराधना से इनकी नाम भोले भंडारी पल में जाते मान। सावन में बजते ढोल बजाते शंख पूजन करते शिवलिंग पर नर-नार। ओंकारेश्वर कष्टनिवारक विषधारी हटते कष्ट देख ना पाते तड़प लालायित रहते करने मदद। देखो जरा, लगा भस्म बाबा नंगे पांव आए हरने कष्ट भक्तों के, संग पार्वती मैया। विष अपना, रख सर्प, लगा भस्म उठा डमरू, ले त्रिशूल निकल पड़े नागेश्वर। परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया। उपलब्धियां : गोल्ड...
प्रभात वंदना
स्तुति

प्रभात वंदना

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** मेरे प्यारे कृष्ण कन्हैया, अब तो बसो स्मृतियों में। भक्ति मैं डूबा प्रभु, श्री चरणों में रचे बसाये रखना। स्मृतियों की नैया में, भवसागर से पार लगा देना। प्रभात वंदना में, अब कृष्ण कन्हैया आए। प्रभु के अलौकिक दर्शन पाए, मन को कितने हर्षाये। स्मृतियों में डूबा बैठा कुंज-गली में, प्रभु के सुंदर दर्शन पाए। प्रभात वंदना मैं मांगू वर, प्रभु चरणों में जीवन रमता जाए। जीवन उपवन में बजती रहे, स्मृतियों की मधुर मुरलिया। खिलें पुष्प बगिया में, खुश्बू बिखेरें स्मृतियों में। प्रभु स्मृति भाव बनाये रखना। श्री चरणों में बसाये रखना। परिचय :- संजय कुमार नेमा निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
हनुमत्कृपा
स्तुति

हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मुझे कब और क्या करना, मेरे आराध्य बतलाते। जो होता है मेरे हित मे, वही वो मुझसे करवाते। मुझे कब और क्या .... उठाता लेखिनी जब मैं, तो हनुमत भाव देते हैं। भाव होते हैं हनुमत के, तो भावुक गीत बनते है। जो भी होता सृजन अच्छा, उसे हनुमत हैं करवाते। मुझे कब और क्या .... थोड़ी सेवा मिली आराध्य की, ये भी कृपा उनकी। उन्ही की शक्ति से ही चल रही, भक्ति फली सबकी। कभी आते हैं कुछ व्यवधान, उनको वो ही निपटाते। मुझे कब और क्या .... है हनुमत से यही विनती, नहीं सेवा विरत करना। कभी कर्ता का आये भाव ना, इतनी कृपा करना। वही करता हूँ मैं सत्कर्म, जो वो मुझसे करवाते। मुझे कब और क्या .... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित ...
हनुमान जन्म
भजन, स्तुति

हनुमान जन्म

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चैत्र मास पूर्णिमा आई, हनुमान जन्मोत्सव अपने संग लाई। हम सबके उर में अपार आनंद पाई, चहुंओर हर्ष की लहर छाई। हम सब हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाई। हे!हनुमान तेरे दर्शन को नैना तरस गए, हे!पवन पुत्र हनुमान। आज भारत भू जन्मे हो। हे! राम भक्त हनुमान, तुम्हें हम करबद्ध हो सादर करें प्रणाम। सबहि भक्त तेरे चरणों में लिपट जाए। हे!पवन पुत्र तुम तो शंकर अवतारी हो। अंजनी लाल हो जग के तुम, तेरी महिमा अति न्यारी, निराली अनंत। तुम सूरज निगल बजरंगी कहलाए हो। लंका जला सीता सूचना लाए, लक्ष्मण प्राण बचाने, पूरा पर्वत उठा लाए। हम सब तेरा गुणगान करें। ऐसा वरदान दो। घर-घर तेरा नाम करें, दुष्ट दलन तुम कहलाए, भक्तों के कष्ट हरने आए हो। दो शक्ति हमें इतनी अपार, हम तेरी सेवा निस्वार्थ भ...
अजर-अमर हैं अंजनि नंदन
भजन, स्तुति

अजर-अमर हैं अंजनि नंदन

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** बुद्धिमान तुम महाबली हो, ज्ञानी गुणी कहाते। स्वर्ण शिखर-सी देह आपकी, बजरंगी कहलाते। ज्ञान गुणों के सागर हो तुम, अतुलित बल तन भरते। रामदूत कहलाते हो तुम, कष्ट सभी के हरते। पवन पुत्र, हनुमान हठीले, पवन वेग से जाते। रक्त वर्ण फल समझ सूर्य को, पलभर में खा जाते। अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, बल बुद्धि विद्या देते। भय-बाधा, पीड़ा जीवन की, पल भर में हर लेते। अजर-अमर, तुम अंजनि नंदन, दूर करो मम पीड़ा। करने खोज, जानकी जी की, लिया आपने बेड़ा। ह्रदय आपके राम सिया हैं, राम दूत बजरंगी। संकट मोचन, कुमति निवारक, सदा सुमित के संगी। तेजपुंज महावीर आपको, सीताराम हमारी। सेवा भाव देख हनुमत का, स्वयं राम बलिहारी। दुर्गम काज जगत के जितने, सभी सुगम हो जाते। पाते हैं बैकुंठ, भक्त जन, जो हनुम...
रामभक्त हनुमान जी
स्तुति

रामभक्त हनुमान जी

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** चिरंजीवी परमभक्त, भगवान राम के अनन्य सेवक बजरंगबली हनुमान जी का जन्मोत्सव आज है जिसे दुनिया उनके बारह नामों हनुमान, अजंनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुण सखा, पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदधि क्रमण सीता शोक विनाशन, लक्ष्मण प्राणदाता, दशग्रीव दर्पहा से जानती, पुकारती है रोज प्रातः काल इन नामों का जाप करती है। तुलसीदास जी ने जिसे विज्ञानी बताया जिनके विज्ञान ज्ञान से, दुनिया आज भी हैरान है। लंका दहन के लिए रावण की सभा में पूंछ को बढ़ाते जाना अशोक वाटिका में मां सीता के सामने अपने लघु और विशालकाय रुप दिखाना विशालकाय समुद्र के पार जाना विज्ञान ही तो था जिसे रामकथा वाचक मुरारी बापू विश्वास का विज्ञान मानते कहते हैं लंका मे सीता जी की खोज, संजीवनी बूंटी ल...
श्री राम बसें सबके मन में
स्तुति

श्री राम बसें सबके मन में

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** नवमी तिथि चैत्रमास पावन, सुंदरता प्रभु की मनभावन। जन्मे है आज रामप्यारे, सुंदरता में जग से न्यारे। हे राम आपको नमन करूँ, अपने उर मैं विश्वास भरूँ। आ जाओ जग मंगल करने, भक्तों के मन श्रद्धा भरने। जो डूबे पापाचारों में, उलझे हैं अत्याचारों में। दिन रात कुकर्मों में रत हैं, कुविचारों में चिंतन रत हैं। आघात करें मानवता पर, हर्षित होते दानवता पर। पशु वृत्ति समाई है इनमें, ना दया धर्म इनके मन में। शुचिता का इनको भान नहीं, निज जननी का अभिमान नहीं। हैं कायर और कपूत बड़े, मानवता के विपरीत खड़े। श्री राम उठा लो धनुष बाण, जनमानस के विपदा में प्राण। आ जाओ राम संताप हरो, दुष्टों का सत्यानाश करो। जब मनुज मुक्त हो हर दुख से, तब मने रामनवमी सुख से। चहुँ ओर खुशी हो जन-जन में, प्रभु राम बसें...