हे राम मेरे
प्रतिभा दुबे "आशी"
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
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हे राम मेरे तुम्हें धन्य कहूं,
या तेरी भक्ति की प्रशंसा कहूं।।
मैं नर हूं तुम नारायण हो,
में दास हूं तुम हो प्रभु मेरे
हे नाथ सकल संपदा सभी,
हे भगवान तुम्हारे चरणों में।।
जब जब नाम लेती हूं मैं
प्रभु स्मरण तब करती हूं
भक्ति में तेरे हैं सच्चा धन
राम नाम का मनका जपती हूं।।
है कठिन समय यदि जीवन में,
तो सरल राम का नाम भी है
क्यों तड़प उठाइए मानव मन
हां जब जाना राम के धाम ही है।।
परिचय :- श्रीमती प्रतिभा दुबे "आशी" (स्वतंत्र लेखिका)
निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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