
संवेदनाओं के मोती भावनाओं की सुगंधि है: ‘पथ उजियारा’
इंदौर। प्रेस क्लब के सभागार में लेखिका निरुपमा त्रिवेदी के काव्य संग्रह ‘पथ उजियारा’ का लोकार्पण व चर्चा हुई । लेखिका ने बताया कि इस काव्य संग्रह में मेरी निन्यानवे कविताएं वास्तव में मेरी अंतर्मन की अनुभूतियों और भावों के पुष्प हैं। जिस प्रकार दीपक अंधियारे को दूर करके उजियारा प्रदान करता है, उसी प्रकार हृदय के उद्गार काव्य के रूप में अभिव्यक्त होकर मेरे जीवन पथ में उजियारा भरते रहे हैं। चर्चाकार डॉ. गरिमा दुबे ने कहा कि इस काव्य संग्रह में कविताएं सहज, सरल भाषा के साथ हैं और पाठकों तक अपने भावों को पहुंचने में पूर्ण सफल है पुस्तक अपने नाम के अनुरूप है तथा लेखिका स्वयं जागरुक है और उसका चिंतन राष्ट्र समाज और प्रकृति सभी के प्रति मुखरित हुआ है। जहां एक ओर ब्रज अवधि के शब्दों का सुंदर प्रयोग किया गया है तथा वहीं दूसरी और दार्शनिक चिंतन भी है जो वर्तमान में लेखक की अभिव्यक्ति में बहुत कम दृष्टव्य है। अतिथि डॉ. पदमा सिंह ने कहा कि शब्द ही ब्रह्म है और लेखन पावन कृत्य है, शब्द की साधना ही ईश्वर की साधना है। साहित्यकार उस ब्रह्म का उपासक है। संस्कार देना और मानवता को सही राह दिखाना ही लेखक की वास्तविक अभिव्यक्ति है। सार्थक लेखन वह होता है, जिसमें समय की धड़कन सम्मिलित होती है। निरुपमा जी ने अपने आसपास बिखरे फैले संसार को अपनी अभिव्यक्ति का विषय बनाया है। इनके पास विपुल जीवन का अनुभव है और भावनाओं का आसीम आकाश है। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के अध्यक्ष साहित्य अकादमी भोपाल मध्य प्रदेश के निदेशक डॉ. विकासजी दवे ने कहा कि निरुपमा त्रिवेदी की ‘पथ उजियारा’ पुस्तक में अनेकों विषयों पर सुंदर रचनाएं हैं पुस्तक की प्रारंभ में आराध्य देवी देवताओं की स्तुति की गई है और उनके विषय वैविध्य को मैं प्रणाम करता हूं। ‘फागुन’ शीर्षक से लिखी गई कविता में ब्रज, अवधि मालवी, निमाड़ी के देशज शब्दों का प्रयोग जब रचना में होता है तो उस रचना की देशजता जीवंत हो उठती है तब ऐसा लगता है वास्तव में पथ उजियारा हो गया है। डॉ. दवे ने कहा कि ‘अमर बलिदान’ शीर्षक से लेखिका के द्वारा लिखी गई कविता में राष्ट्रीयता के स्वर मुखरित हुए हैं। हिंदी के उन्नयन के लिए लिखी निरुपमा जी की रचना में भाषायी स्वाभिमान दिखाई देता है वास्तव में यह बहुत सुंदर रचना लिखी गई है। हम सभी का दायित्व है कि इसी प्रकार भाषायी स्वाभिमान के संरक्षण के लिए प्रयास करें। उन्होंने हिंदी भाषा के संरक्षण और संवर्धन हेतु सतत किया जा रहे सार्थक प्रयासों के लिए राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच के संस्थापक डॉ. पवन मकवाना जी एवं डॉ. दीपमाला गुप्ता की प्रशंसा की।
वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष ज्योति जैन ने अपना स्वागत भाषण देते हुए लेखिका के सार्थक लेखन की सराहना की। पाठ योजना पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. गरिमा दुबे ने कहा कि साहित्य पथ प्रदर्शक का कार्य करता है, जब लेखक लिखना प्रारंभ करता है तो उसके सामने एक अंधेरी दुनिया होती, किंतु लेखन और कोई भी कला उस प्रकाश का स्त्रोत है जो अंधेरी पगडंडी पर विचारों की रौशनी से आगे का रास्ता सहज बना देती है। पथ उजियारा काव्य संग्रह में लेखिका ने साहित्य के उसी प्रकाशवान स्त्रोत का हाथ थामकर अपनी यात्रा की है जहां से भावों, संवेदनाओं, मनुष्य जीवन, प्रकृति और मानवीय संबंधों को वे अच्छे तरीके से देख सके। साहित्य इसी दृष्टि का नाम है जो घटनाओं संबंधों के बारीक, महीन रेशों को देखने की सामर्थ्य प्रदान करता है। पुस्तक का शीर्षक इस बात की घोषणा करता है कि लेखक के हाथ वह प्रकाश लग चुका है और आगे की डगर अब उसी प्रकाश के सानिध्य में सुगम और सफल होगी। कविताएं सहज सरल भाषा के साथ हैं और अपनी संप्रेषणीयता में पूर्णतः सफल हैं।
संजय त्रिवेदी ने कहा कि कविताएं जीवन की यथार्थ चिंतन से युक्त मन के भावों व जीवन के अनुभवों की अद्भुत कांति है। गीतकार आलोक रंजन त्रिपाठी ने कहा कि निरुपमा त्रिवेदी जी के द्वारा लिखा गया यह काव्य संग्रह अनुपम और अनूठा है। ‘पथ उजियारा’ काव्य संग्रह में प्रेम, वात्सल्य जगत व्यवहार, ईश्वर उपासना, समर्पण, प्रेम श्रृंगार, प्रकृति का अद्भुत संगम है। संचालन प्रीति दुबे ने किया और आभार श्रेयांश त्रिवेदी ने माना। इस अवसर पर राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच एवं वामा साहित्य मंच ने लेखिका निरुपमा त्रिवेदी का शाल, श्रीफल और पौधा देकर सम्मान किया। विचार प्रवाह साहित्य मंच के अध्यक्ष मुकेश तिवारी, सृजन सुगंध साहित्य मंच, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच, शब्दों के सारथी साहित्य संस्था, शुभ संकल्प साहित्य मंच, मनपसंद साहित्य मंच ने भी लेखिका का सम्मान किया। इस अवसर शिक्षा, समाज ,साहित्य जगत से चोइथराम प्राचार्य अमित त्रिवेदी, शिल्पा खरगोनकर, अश्विनी साजापुरकर, डॉ.विनीता जैन, राजीव जोशी सुनील त्रिवेदी, लक्ष्मीकांत पंडित, मनोहर दुबे , मीनाक्षी पौराणिक प्रमिला दुबे, डॉ अर्चना अतुल त्रिवेदी, डॉ.कला जोशी ,मनोज दुबे ,समाजसेवी मनीष मोदी, मनोज पंडित, सुनील केदार पुराणिक, रंजना पाठक, अनिल ओझा, रूपल मंडलोई मुकेश तिवारी, मुकेश इंदौरी, माधुरी व्यास ‘नवपमा’, डॉ. दीपा व्यास, डॉ. किसलय पंचोली, अर्चना मंडलोई, डॉ. रीना पाटिल अनुपमा गुप्ता, डॉ. शशी निगम, करुणा प्रजापति, मनीष दवे, डॉ. सुनीता श्रीवास्तव, अमिता मराठे, डॉ. दीपमाला गुप्ता, डॉ. पवन मकवाना, शीला बड़ोदिया आदि उपस्थित रहे।
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