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प्रकृति

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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उमङ धुमङ धटा गहराती
उपवन के तरु लहराए
मेरी बगीया के आगंन मे
तुम आते, आते सकूचा ऐ।
बादलो की बौछार देती
निमन्त्रण बार, बार
हरित पर्ण और पुष्प भी
करते प्रतिक्षा हर पल व।
कहते मादक सुगन्ध
हमनै बिखरा ई
झरना झीले झूम झूम कर
करते तेरी अगुवाई
जन कहते पकृती भरमा ई।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित व वर्तमान में राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर एवं लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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