
डाॅ. कृष्णा जोशी
इन्दौर (मध्यप्रदेश)
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मैं चाहूँगी कि यदि जीवन को धन्य करना चाहते हो तो शरणागति को समझते हुए आगे कैसे बढ़ना है- जानते हैं सर्वप्रथम शरणागति का अर्थ या संक्षिप्त परिभाषा किसी भी चीज़, ख़ासकर भगवान नारायण (कृष्ण) के या भगवान श्रीराम के प्रति पूरी तरह से समर्पण करना अपने अहंकार का त्याग और भगवान के प्रति पूर्ण रूपेण समर्पित रहना शामिल है। शरणागति या प्रपत्ति अति संक्षिप्त में कहूँ तो मन की वह अवस्था जिसमें भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे भक्त को बचाने का साधन बनें यह अनुभूति इस बात से जुड़ी है कि भक्त पूरी तरह असहाय है, पापी है,तथा उसके पास अन्य मोक्ष की कोई आशा नहीं। शरणागति का शाब्दिक अर्थ है शरण में आया हुआ व्यक्ति।
शरणागति के मुख्य चार प्रकार बताए गए हैं जो हम इस तरह से जान सकते हैं …
भगवान की आज्ञाओं का पालन करना।
भगवान के नाम का जप करना।
परोपकार करना।
भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण करना।
शरणागति के मुख्य छः लक्षण हैं जो निम्नानुसार….
अनुकूलस्य संकल्प :- भगवान की इच्छा के अनुसार जीना, सदैव अनुकूल कार्य करना।
प्रतिकूलस्य वर्जनम-प्रतिकूल कार्य को त्यागना।
रक्षिस्यतीति विश्वास – भगवान रक्षा करते हैं इस पर पूर्ण विश्वास करना।
आत्मनिपेक्ष कापीयम्
प्रार्थना और आत्मसमर्पण-ईश्वर से प्रार्थना करना और अपने आप को पूर्ण रूप से समर्पित करना। शरणागति का अर्थ तो हमने जान लिया अब उसके लक्षण प्रकार भी समझें अब बात करें लाभ की तो शरणागति के लाभ ही लाभ हैं मैं बताना चाहूँगी कि शरण एक क़ानूनी शब्द भी है अंतराष्ट्रीय क़ानून में शरण एक ऐसा अधिकार है जो व्यक्ति को अपने देश में उत्पीड़न के डर से सुरक्षा प्रदान करता है। शरण यानी आश्रय, पनाह। भगवान की शरण में जाने के लिए सर्वप्रथम अपने मन को शुद्ध करें भगवान का निरन्तर स्मरण करें, इसके अलावा भगवान को समर्पित जीवन जीएं,सत्संग में शामिल हो उनके नाम का जप करें इन विधियों से भगवान के प्रति प्रेम और विश्वास बढ़ेगा जिससे शरणागति में मदद मिलेगी। शरणागति के अनेक लाभ हैं, कुछ मुख्य रूप से मानसिक शांति।
आत्मिक उन्नति और सांसारिक समस्याओं से मुक्ति।
कलयुग में यदि जीवन धन्य करना है तो मन शुद्ध, नाम स्मरण, समर्पित जीवन को अच्छे से जानकर शरणागति को समझो। और जीवन धन्य कर लो। अंत में यही कहूँगी कि शरणागति वह मंत्र हैं जिसे भक्त भगवान के चरणों में समर्पित कर ईश्वर से प्रार्थना करता है कि भगवान भक्तों को समस्त पापों से मुक्त करें और उसे अपनी कृपा से संरक्षित करें। शरीर परमात्मा के द्वारा दिया हुआ उपहार है… चाहो तो विभूतियों को अर्जित करो या चाहो तो घोरतम दुर्गति… अतः यही कहूँगी कि कि शरणागति के द्वारा हम परम शांति, परमात्मा से गहरा सम्बन्ध प्राप्त कर सकते हैं यही वह मार्ग है जो हमें जीवन के दुखों से मुक्ति दिलाता है और मोक्ष की और ले जाता है। इस प्रकार यदि हमने शरणागति का रहस्य जान लिया तो निश्चित ही जीवन धन्य हो जाएगा।
परिचय :- डाॅ. कृष्णा जोशी
निवासी : इन्दौर (मध्यप्रदेश)
रुचि : साहित्यिक, सामाजिक सांस्कृतिक, गतिविधियों में। हिन्द रक्षक एवं अन्य मंचों में सहभागिता।
शिक्षा : एम एस सी, (वनस्पति शास्त्र), आई.आई.यू से मानद उपाधि प्राप्त।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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