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वृक्ष

 राम राज सिंह
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

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कभी-कभी यह देख मुझे,
बस यूँ ही हिल जाता है।
प्रेम-सुधा पूरित हँसकर,
नेह अमित बरसाता है।।

स्वागत की अद्भुत सुविधा
बस झुक जाने की एक विधा
दानी दधीचि सा पुण्य प्राण
उद्देश्य एक जगती का त्राण

मान-भान से प्रथक सजग
जग-जीवन को सर्साता है।

ताप, शीत या वृष्टि सघन
न कभी हारता उसका मन
ज़रा, जन्म या अन्तकाम
सेवा जीवन का एक नाम

पीड़ा पाकर भी पावन
पर-सुख पर मुसकाता है।

विकट धैर्य से प्रकट सरल
विनयशील वैभव का बल
पीता प्रतिदिन काल-कूट
क्षिति का प्रिय अवधूत-पूत

जीवाश्म नहीं जीवन रस
जीवन-हित जल जाता है।

परिचय :  राम राज सिंह
निवासी : उन्नाव (उत्तर प्रदेश)
सम्प्रति : शाखा प्रबंधक (पंजाब नैशनल बैंक)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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1 Comment

  • NB Singh

    भावना एवं भाव से भरी हुई रचना, जन मन को और उसके कर्तव्य बोध को जगाने की कोशिश
    बहुत-बहुत साधुवाद

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