
ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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आता है सावन जब, मल्हार गीतों से गूंजती बहार
सावन की हरी भरी हरियाली में, गूंजे गीतों की बहार ।।१।।
सावन के सुरीले गीतों की मस्ती में, आंनद की बहार
नवविवाहित सजती श्रावण में, करती सोलह श्रृंगार ।।२।।
भगवान कृष्ण और राधा का सजता, सावन में दरबार
श्रद्धालुओं की लंबी लंबी लग जाती, मंदिरों में कतार ।।३।।
ब्रज में बुरा सेवन की परंपरा, दामाद आने की बहार
सावन में ससुराल वाले, दामाद का करते इंतजार ।।४।।
सावन में ठाकुरजी की आकर्षित लगती, सुंदर पोशाक
दौड़े दौड़े आते भक्त, पहनाते बेबाकमनमोहक पोशाक।।५।।
ब्रज रस में सावन का सुहावना, सुंदरता से सजा झूला
कृष्ण राधा की युगल जोड़ी में, मधुरतम लगता झूला ।।६।।
सावन में संस्कृतिसाहित्य की समृद्ध, नजर आती कला
जिधर देखो सुनहरी छटा में सुंदर, ब्रज का सावन मेला ।।७।।
चौरासीकोस परिक्रमा में, ब्रज भूमि में सावन के दिन
झूमता है यहां श्रद्धालु, कर लेता ब्रज में चित्त प्रसन्न ।।८।।
तीजत्योंहार में ब्रज में दिखती, बादलोंसंग अनुपम छटा,
हाथरस की पावन देहरी से , बहती है सावन की छटा ।।९।।
ब्रज में सावन का सुंदरता का, विहंगम सुहाना सुंदर दृश्य
झूले में झूला झूलते, हर मंदिरों मोहल्लों में राधाकृष्ण,।।१०।।
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
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