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मेरे आदर्श

रतन खंगारोत
कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान)
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क्या अर्पण करूं तुझे हे! माधव,
जो मानव जीवन तुमने दिया।
मेरे पापों की मैली चुनरिया पर,
कुछ सितारे शायद पुण्य के होंगे।।

यह जीवन है कितना अनमोल,
मैं निमूर्ख यह समझ ना पाई।
तब मेरे पिता का रूप धरकर,
गोविंद, तुमने ही तो राह दिखाई।।

जब जीवन की उलझने बढ़ने लगी,
मैं दिन- दुखी और चित्त उलझाया।
तब मेरे गुरु के रूप में ही,
माधव तुमने तो दिया जलाया।।

मेरे आदर्श मेरे गुरुवर की वाणी,
मेरे उसूल मेरे पिता के वचन।
किसी का दिल न दुखे और न राह भटकू,
तभी सार्थक होगा मेरा यह जीवन।।

परिचय : रतन खंगारोत
निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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