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पगडंडी

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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पथ पगडंडी पर
पडे पतझड के
कोलाहल मे किसी
की अस्पष्ट
आवाज सुनाई दी
पीछे मुडकर देखा,
कोई नही था।
सोचा मुझे भ्रम हुआ
आगे चली फिर देखा
कोई नयी था
फिर कोई बोला
पीछे मत देखो
आगे चलो, बढो
आत्मविश्वास,
साहस के साथ
सामिप्य मै तुम्हे दुगा,
मै मन हू तुम्हारा।
अकेलापन, सन्नाटे, तुफान से
लङना सिखो, बढो आगे
पिछे मुडना कायरता है
और तुम, तुम
कायर नही हो, मेरे साथी।
मजबुत मानव हो
पथ चाहे कैसा भी हो
उसे सुगम बनाओ,
आगे बढो, आगे बढो।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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