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गौमाता की पुकार

इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
गोरखाना, नोहर (राजस्थान)
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गाय गुणो की खान है, जाने जानन हार।
अमृत समान दुध मिलता, सबकाबेङा पार।

औ मूरली वाले सुणले अब पुकार,
तेरे बिना मरु में अब तो लेले अवतार।।

आपकी गईयो के क्या हो गया कन्हैया,
हर एक के बदन पर हो गया गंठिया।

पीङा, क्रंदन को सहते रोज जाती बैकुंठ ,
आंसू टेरती पुकारती कहां छुप गया कन्हैया।।

इन गईयों ने कब किसी को दर्द दिया ,
जग में यूं नहीं कहलाई कामधेनु गईया ।

जग जीवन को नवजात की तरह पाला ,
आपकी गईया पुकारती है कृष्ण कन्हैया।।

परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
उपनाम : “नोहरी”
पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग
माताजी का नाम : कांता देवी
अर्धांगिनी का नाम : माया देवी
जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१
सम्प्रति : शिक्षक
शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड
निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला- हनुमानगढ़ (राजस्थान)
प्रकाशित रचनाएं : “समरसता के अग्रदूत” साझा काव्य संकलन मुख्य सम्पादक, “सृजन सागर के मोती” साझा काव्य संकलन उपसंपादक, “इंद्र का जाल” प्रकाशन ज़ारी… वर्तमान में विश्व हिंदी सृजन सागर मंच के बतौर अध्यक्ष
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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