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गुरुओं का आभार

इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
गोरखाना, नोहर (राजस्थान)
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गुरु क्या होते हैं सबको
आज बताने आया हूं,
मैं सभी गुरुओं का
आभार जताने आया हूं।

अगर गुरु वशिष्ठ ना होते तो
शायद राम श्री राम ना होते,
अगर गुरु सन्दीपन ना होते तो
शायद कृष्ण घनश्याम ना होते।

गुरु द्रोणाचार्य बिन कोई
कैसे अर्जुन बन सकता है,
गुरु रमाकांत आचरेकर बिन
कोई कैसे सचीन बन सकता है।

गुरु नरहरिदास बिन कोई कैसे
सगुण का पाठ पढ़ा सकता,
गुरु रामानन्द बिन कोई कैसे
निर्गुण का पाठ पढ़ा सकता है।

गुरु गोखले ने गांधी जैसा
उज्ज्वल भविष्य दिया,
गुरु रामावतार, बलवंत ने
आपको नादान बालक दिया।।

गुरु क्या होते हैं सबको
आज बताने आया हूं,
मैं सभी गुरुओं का
आभार जताने आया हूं।

परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
उपनाम : “नोहरी”
पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग
माताजी का नाम : कांता देवी
अर्धांगिनी का नाम : माया देवी
जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१
सम्प्रति : शिक्षक
शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड
निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला- हनुमानगढ़ (राजस्थान)
प्रकाशित रचनाएं : “समरसता के अग्रदूत” साझा काव्य संकलन मुख्य सम्पादक, “सृजन सागर के मोती” साझा काव्य संकलन उपसंपादक, “इंद्र का जाल” प्रकाशन ज़ारी… वर्तमान में विश्व हिंदी सृजन सागर मंच के बतौर अध्यक्ष
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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