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हम राजस्थानी

इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
गोरखाना, नोहर (राजस्थान)
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हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं,
हम गोगानवमी को गोगामेड़ी में जाकर बजाते टन्नी हैं।
हम देवनारायण जी की फड़ सबसे लम्बी बताते हैं,
हम पाबूजी की फड़ सबसे छोटी पढ़ाते हैं।
हम रामदेव जी के रामदेवरा में धोक लगातें हैं,
हम उस तेजाजी की लीलण सी धूम मचाते हैं।
हम करणी माता के वो सफेद काबा कहलाते हैं ,
हम जीण माता का सबसे लम्बा गीत गाते हैं।
हम शीतला माता के बास्योङा का भोग लगाते हैं,
हम उस सुगाली माता के वंशज हैं जिसको क्रांति का योग बताते हैं।
हम उस खाटूश्याम के सेवक हैं जो शिश के दानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।
हम उस हल्दी घाटी की मिट्टी से तिलक सजाते हैं,
हम दुश्मन को सूरजमल सी झलक दिखलाते हैं।
हम राव जोधा के जोधपुर को बसाने वाले हैं,
हम सबको पुष्कर झील दिखाने वाले हैं।
हम वो सुन्दर आकर्षण हैं जिसे कहते पद्मिनी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।
हम उस रानी पद्मिनी के पद चिन्ह हैं जो अग्नि जौहर करते हैं,
हम उस राजा के राज को बताते हैं जो सोने की मौहर चलाते हैं।
हम वो मीराँ हैं जो मूरलीधर को झुकाती हैं,
हम वो पन्नाधाय हैं जो अपने पुत्र का बलिदान दिखाती हैं।
हम वो हाङी राणी हैं जो शीश की दानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।
हम वो बॉडी बिल्डर प्रिया मेघवाल दिखाते हैं,
हम वो स्वर्ण पदक लेकर अवनी सा धमाल मचाते हैं।
हम वो देवेन्द्र हैं जो पद्मश्री गले लगाते हैं,
हम वो ख्याली हैं जो लोगों को खूब हंसाते हैं।
हम वो महर्षि है जो हड्डियों के दानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।
हम कवि कलोल के ढोला मारु रा दूहा हैं,
हम हैं उस प्रहलाद री बूआ हैं।
हम करणी दान री माटी की महक हैं,
हम उस चंदबरदाई री धमक हैं।
हम बीठू सूजा रो छंद हैं,
हम वंश भास्कर की सुगंध हैं।
हम सागरमल गोपा जैसे बलिदानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।
हम उस केसरी सिंह बारहठ की तलवार हैं,
हम उस भोगीलाल पांड्या का परिवार हैं ,
हम वो सांगा हैं जो 80घाव लेकर 100,100युद्ध करते हैं,
हम वो गौरा बादल,जैता कूम्पा हैं जो जोर से खुद लङते हैं,
हम वो सबसे पवित्र चंबल का पानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं ।
हम उस कपूरचंद की पहलवानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।
हम वो इतिहास है जिसको पढ़कर दुनियां होती ज्ञानी हैं,
हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं।

परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
उपनाम : “नोहरी”
पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग
माताजी का नाम : कांता देवी
अर्धांगिनी का नाम : माया देवी
जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१
सम्प्रति : शिक्षक
शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड
निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला- हनुमानगढ़ (राजस्थान)
प्रकाशित रचनाएं : “समरसता के अग्रदूत” साझा काव्य संकलन मुख्य सम्पादक, “सृजन सागर के मोती” साझा काव्य संकलन उपसंपादक, “इंद्र का जाल” प्रकाशन ज़ारी… वर्तमान में विश्व हिंदी सृजन सागर मंच के बतौर अध्यक्ष
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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