Thursday, December 4राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अपेक्षा भंग

माधवी तारे
लंदन
********************

कई सौ परिवारों से भरपूर एक सोसायटी की एक बहुमंजिला इमारत में एक दंपति रहता था। वो पति पत्नी इतने कंजूस थे कि मक्खी के चाय में गिरने पर मक्खी को चूस कर चाय पी सकते थे। जाहिर है उनकी न तो इमारत में, न ही सोसायटी में कोई दोस्ती थी न तो वो रिश्तेदारों से मिलते थे न ही रिश्तेदार उनके यहां आते थे। उनकी बिल्डिंग के लोग उन्हें देखते ही उनसे दूर ही भागते थे कि कहीं कुछ मांग न लें।
प्रकृति का विनाश कर बनी ये सीमेंट कंक्रीट की इमारतें जैसी भावना शून्य होती हैं वैसे ही ये दोनों थे, घर में भी वह हर संभव कंजूसी करते थे। बचत और कम सामान में जीवन यापन करने की कला इनके पास कुछ ज्यादा ही थी वो इस डर से कहीं आते जाते नहीं थे कि कहीं पैसा न खर्च हो जाए। अच्छी नौकरी से रिटायरमेंट के बावजूद इन्होंने किसी शौक, जरूरत पर कम से कम पैसा खर्च करने पर ही जोर दिया बेवजह कटौती की इस आदत ने इन दोनों को समाज से दूर कर दिया था लेकिन वो आपस में ही खुश थे।
एक दिन इस राम मिलाई जोड़ी ने सोचा कि चलो कहीं घूमने चलते हैं वे बिल्डिंग से बाहर निकले तो लोग हैरान हो गए कि ये जा कहां रहे हैं वो भी सामान लेकर, लेकिन किसी की पूछने की न इच्छा थी न हिम्मत. अपनी आदत से मजबूर दोनों ने न तो कोई रिक्शा की, न बस, न साइकिल न कार दोनों पैदल-पैदल चल पडे। जब चलते-चलते हाथ पैर में दम नहीं बचा और भूख-प्यास से हैरान हुए तो एक पेड़ की छांह में बैठ गए। साथ में लाया भोजन करने लगे, उसी पेड़ पर ऊपर कौए बैठे थे, वो सोच रहे थे कि ये कुछ गिराएं या छोड़ें तो हम खाएं। काफी देर कौए उन दोनों को तकते हुए बैठे रहे, लेकिन मियां-बीवी ने अन्न का एक कण नीचे गिरने नहीं दिया और कौए निराशा से उड़ गए। अगले एक पेड़ पर कौओं का एक और झुंड बैठा था उसमें से सबसे बुजुर्ग कौए ने कहा- अब देखते हैं कि इनके पिंड को छूने कौन सा कौआ जाता है।

परिचय :-  माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
अध्यक्ष : अंतर्राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (लन्दन शाखा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *