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छत्तीसगढ़ी भाखा

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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छत्तीसगढ़ी भाखा

छत्तीसगढ़ के तँय रहवईया,
छत्तीसगढ़ी नइ गोठियावस
अड़बड़ पढ़े लिखें हँव कहिके
काबर तँय अटियाथस।।

अपन बोली, अउ भाखा बर,
काबर मरथस् लाज सरम
छत्तीसगढ़िया तँय संगवारी
कर ले सुग्घर बने करम।।

अपन भाखा ल छोड़ के
पर के भाखा गोठियावत हस
छत्तीसगढ़ी बोली भाखा के
तनिक गुन नइ गावत हस।।

अपन राज, अपन भाखा के
जम्मों झन राखव मान जी
छत्तीसगढ़ी बोली भाखा
इहि भाखा हमर पहिचान जी।।

हमर भाखा छत्तीसगढ़ी संगी,
सबों भाखा ले बढ़िया जी
तभे तो कहे जाथे संगी,
छत्तीसगड़िया सबले बढ़िया जी।।

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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