
डाॅ. कृष्णा जोशी
इन्दौर (मध्यप्रदेश)
********************
यात्रा तो हम सभी करते है पर आज हम जो यात्रा कि बात कर रहे वह यात्रा सफल यात्रा है और हम सभी को करना भी चाहिए आइये आज संक्षिप्त में हम योग, सहयोग और उसके लाभ पर बात करते है। हम सभी जानते है योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी, योग शब्द संस्कृत से आया जिसका अर्थ है जोड़ना एकजुट होना योग प्राचीनतम जीवन शैली जो मन आत्मा शरीर को संतुलित करने में मदद करती है योग एक यात्रा है ना कि कोई मंजिल। ऐसी यात्रा जो निरन्तर अभ्यास और समर्पण से आगे बढ़ती है। योग हमारे भीतर छिपे असीम सामर्थ्य को पहचानने और उसका उपयोग करने का साधन जिस दिन से योग जीवन का हिस्सा बनता है उस दिन से योग जीवन से दूर जाना दिखता है। युज शब्द के तीन अर्थ उपलब्ध समाधि, संयोग, संयमन। सुख दुख,मान अपमान सिद्ध-असिद्धि, आदि विरोधी भावों में भी समान रहने को ही भगवान ने योग कहा है। योग गुरु शिव को माना जाता है कहते हैं भगवान शिव ने सबसे पहले योग ज्ञान दिया उन्हें आदियोगी कहते हैं और जनक महर्षि पतंजलि जी को मानते हैं पहले योगी शिव जी।
हम जानते है योग मतलब जोड़ना अर्थात् यहाँ हम कह सकते है कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग। समाधि की अवस्था को प्राप्त होना। श्रीकृष्ण कहते हैं निःस्वार्थ सेवा ही योग है कर्म योग, हठयोग, राजयोग, भक्ति योग, ज्ञान योग, क्रिया योग सभी मुख्य प्रकार। बहुत विस्तार से योग को समझा जा सकता है पर हम योग से सहयोग की यात्रा की बात कर रहें तो हमें सहयोग पर भी ध्यान देना होगा सहयोग को सरल रूप में समझे सहयोग दो या दो से अधिक व्यक्तियों या समूहों का मिलकर किसी सामान्य लक्षय को प्राप्त करने के लिए काम करना, मतलब यह भी कह सकते कि समर्थन करना सहयोग से नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है यहाँ मेरे विचार से सहयोग एक शक्ति शाली उपकरण जो लोगों को जोड़कर बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करने में मदद करता है। यह विशिष्ट सामाजिक प्रकिया जिसमें लोग मिलकर काम करना पसंद करते हैं प्रत्यक्ष सहयोग, सामुदायिक सहयोग, प्रति स्पर्धि सहयोग सभी शामिल… सहयोग के लाभ बहुत है एकता की भावना, लक्ष्य प्राप्त करने में आसानी, समस्या समाधान संवाद का अवसर, वृद्धि सीखने के अनुभव में सुधार, उच्च स्तरीय सोच, कौशल विकास, सकारात्मक शिक्षण का वातावरण निर्मित होना भावनात्मक कौशल विकास इत्यादि लाभ। सहयोग से एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अतः यही कहूँगी योग, सहयोग की यात्रा सुखद तो है साथ ही हमारे लिए महत्वपूर्ण भी है योग से सहयोग की यात्रा हमें हमारे लक्ष्य को प्राप्त कराती है और ईश्वर से मिलवाती है। तो नियमित योग करें सहयोग करें अतः कहूँगी कि लोगों के सहयोग और समर्थन पाकर हम वो कार्य कर जाते है जो बड़े से बड़ा व्यक्ति नहीं कर पाते। किसी ने क्या खूब कहा है शरीर और आत्मा को मिलाने का तोहफ़ा है योग खुद को खुद से मिलाने का मौक़ा है योग। तो नित योग करें सहयोग करें।
परिचय :- डाॅ. कृष्णा जोशी
निवासी : इन्दौर (मध्यप्रदेश)
रुचि : साहित्यिक, सामाजिक सांस्कृतिक, गतिविधियों में। हिन्द रक्षक एवं अन्य मंचों में सहभागिता।
शिक्षा : एम एस सी, (वनस्पति शास्त्र), आई.आई.यू से मानद उपाधि प्राप्त।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.





