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कुदरत की महिमा

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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कुदरत तेरी रचना
वाह तेरा क्या खूब कहना
प्राणी जीवजन्तु में
कमोधिक
गुणों में गुण
की बसती महिमा
खूबसूरत सुंदर
रहती विद्यमान
कुदरत तेरी रचना ।।१।।

कलम, काठ, पेंसिल
स्याही, चाक,
लिखावट में गुणी
पुस्तकें ज्ञान बढाने,
पढ़ाने में रहती है
हरदम गुण में गुणी
डस्टर बार बार
लिखावटों को
मिटाने में रहता गुणी
निर्जीव सजीव में
कुदरत तेरी
रची है अजीब रचना
प्राणी जीवजन्तु
गुणों में गुणी
कुदरत तेरी रचना ।।२।।

केंचुएं में जमीन
उपजाऊ का गुण
चूहा, जहरीला कीड़ा
उगती फसल नष्ट का
रखता गुण
हिंसक नीचे गिराने
सेवक रखता उठाने
गुणों में गुण
कुदरत तेरी रचना
कुदरत तेरी रचना
कहीं बाधक का गुण
कहीं सम्मान का गुण
मुश्किल है
कुदरती रहस्य
मुश्किल तेरी महिमा
समझना ।।३।।

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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