Thursday, December 4राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

संघर्ष

सौरभ डोरवाल
जयपुर (राजस्थान)

********************

संघर्ष उसी को चुनता है,
जो लायक इसके होता है।
जो चलना भी ना शुरू करे,
वो अनंत आकाश को खोता है।।

राज-पुत्र होकर भी,
संघर्ष राम ने चुना था।
चौदह वर्ष वनवास काटकर,
राज-पाठ का मौका भुना था।।

संघर्ष राजा हरिश्चंद्र ने किया जीवन भर,
तब संघर्षों के आदि कहलाए।
राज खोया, पुत्र खोया,
तब हरिश्चंद्र सत्यवादी कहलाए।।

संघर्षों को बिना चुने,
ना कोई मंजिल को पाता है।
बिना संघर्ष जीवन क्षण भंगुर,
केवल आता और जाता है।।

संघर्ष के ही कारण गोताखोर,
नदी पार कर जाता है।
सौरभ केवल किताबों को पढ़कर,
कोई तैरना नहीं सीख पाता है।।

परिचय : सौरभ डोरवाल
निवासी : भोजपुरा, जिला- जयपुर (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

8 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *