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डाम

सौ. निशा बुधे झा “निशामन”
जयपुर (राजस्थान)
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(राजस्थानी बोली)

बचपन मै म्हे खेल खेलता
रह्या पछाड़ी, देता डाम।
पिदतां पिदतां होठ सूखता
नरच्यूं न करता आराम।

मायड़ कहती खाणो खा ले
देख ऊपरां ढळगी शाम।
दोस्त बोलता कोनी आसी
बिना दियां यो अपणो डाम।

आ जातो जद नयो खिलाड़ी
म्हारो पिण्ड छुड़ाता राम।
सगळा बींकै लूम’र कहता
नयी छै घोड़ी नयो नयो डाम।

परिचय :- सौ. निशा बुधे झा “निशामन”
पति : श्री अमन झा
पिता : श्री मधुकर दी बुधे
जन्म स्थान : इंदौर
जन्म तिथि : १३ मार्च १९७७
निवासी : जयपुर (राजस्थान)
शिक्षा : बी. ए. इंदौर/बी. जे. मास कम्यूनिकेशन, भोपाल
व्यवसाय : एनलाइन सेलर असेंबली /फ़िलिप कार्ड /अन्य
प्रकाशित पुस्तक : स्वयं की मराठी संकलन लघुकथा (मधुआशा 2024) एवं विभिन्न पटल पर पुरस्कार एवं समाचारपत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित स्वरचित कविता/कहानी इत्यादी।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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