अत्याचार
रामसाय श्रीवास "राम"
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)
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मनहरण घनाक्षरी
कुछ तो करो विचार,
पशु पर अत्याचार,
किसलिए करते हो, उनमें भी जान है।
क्या गलत क्या सही है,
जानता मनुज ही है,
उन प्राणियों को ऐसा, नहीं कुछ ज्ञान है।।
प्रेम से उन्हें खिलाओ,
काम जो भी करवाओ,
क्रोध उन पर करो, कहाॅं की ये शान है।
साथी हैं वो भी हमारे,
सहते हैं कष्ट सारे,
राम सब में है प्राण, एक ही समान है।
परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम"
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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