पापा
मनोरमा पंत
महू जिला इंदौर म.प्र.
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"पापा ! आपको हो क्या गया है? देखिये, शर्ट आधी पेन्ट के अन्दर है, आधी बाहर। और बालों में कंघी क्यों नहीं की?"
एक क्षण मुझे लगा बेटे तुषार के स्थान पर मैं खड़ा हूँ और मेरे स्थान पर मेरे पापा। मैं अपने पापा को अगाह कर रहा हूँ कि शर्ट ठीक ढंग से खोसी नहीं गई है। मैं सोच में पड़ गया कि कैसे अनजाने में धीरे-धीरे पापा बनता जा रहा हूँ। लोगों को प्रभावित करने वाली बोली धीमी पड़ गई।पापा के समान टोका-टोकी की आदत बदल गई। ढेरों कपड़े अभी भी हैं पर चार कपड़ों से ही काम चला रहा हूँ।
पुनः अपनी सोच से बाहर आकर अपनी शर्ट पूरी तरह पेन्ट में डाल, बालों में कंघी करके सब्जी का थैला कंधे पर डाल पापा के समान धीरे-धीरे चलता हुआ बाहर निकल गया।
परिचय :- श्रीमती मनोरमा पंत
सेवानिवृत : शिक्षिका, केन्द्रीय विद्यालय भोपाल
निवासी :...






















