जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे
शरद जोशी "शलभ"
धार (म.प्र.)
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जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे हमें तदबीर लिखना है।
हमारे हाथ से अपनी हमें तक़दीर लिखना है।।
जिगर में दर्द, आँसू आँख में, है लब पे ख़ामोशी।
हमारी ज़िन्दगी अब ग़म की है तस्वीर लिखना है।।
निगाहें फेर ली जिसने समझ कर अजनबी मुझको।
उसी के हक़ में अब मुझको तो इक तहरीर लिखना है।।
वो मुस्लिम हैं मगर रब को कभी सिज्दा नहीं करते।
उन्हीं के वास्ते मुफ़्ती को कुछ ताज़ीर लिखना है।।
तुम्हें तो ख़्वाब में आना था आकर चल दिए लेकिन।
हमारे ख़्वाब की हमको अभी ताबीर लिखना है।।
मुहब्बत की ही दौलत है मिरे दिल के ख़ज़ाने में।
तुम्हारे नाम अपनी आज ये जागीर लिखना है।।
रहा करते "शलभ" जो यार की धुन में हमेशा गुम।
हमें ऐसे ही दीवानों की अब तासीर लिखना है।।
परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं।
विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंद...

























