मेरे मन को भाती मां
बुद्धि सागर गौतम
नौसढ़, गोरखपुर, (उत्तर प्रदेश)
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मेरी मां दुलारी मां,
सचमुच नाम दुलारी मां।
सारे जग से प्यारी मां,
मेरे मन को भाती मां।
जन्म मुझे दिया है मां,
आकार मुझे दिया है मां।
प्यार मुझे करती है मां,
मेरे मन को भाती मां।
मुझको खिला पिलाकर मां,
बड़ा किया है मुझको मां।
जीवन कौशल सिखलायी मां,
मेरे मन को भाती मां।
हर दुख से मुझे बचाती मां,
खुशियां मुझे लुटाती मां।
मेरा भला चाहती मां,
मेरे मन को भाती मां।
याद तुम्हें करता हूं मां,
प्यार तुम्हें करता हूं मां।
मुझ में हिम्मत भरती मां,
मेरे मन को भाती मां।
चलना मुझे सिखायी मां,
शिक्षक मुझे बनाई मां।
खुश मुझको रखती है मां,
मेरे मन को भाती मां।
कहीं नहीं गई हो मां,
मेरे पास सदा हो मां।
मेरे दिल में बसती मां,
मेरे मन को भाती मां।
धन्य धन्य हो, धन्य धन्य हो,
धन्य धन्य हो मेरी मां।
नमन है तुमको, नमन है तुमको,
नमन है तुम...

























