गाँव की खुशबू
डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
********************
गांँव: सोंधी-सोंधी माटी की खुशबू!
सुरम्य हरियाली बिखरी चहुँओर भू!!
भोर की लाली क फैला है वितान!
कंधे पर हल रखकर चल पड़ा किसान!!
शीतल सुरभित मंद पवन मन हरसाय!
प्रदूषण मुक्त वातावरण अति भाय!!
अमराई में कूके विकल कोयलिया !
कामदेव-बाण-सी आम्र मंजरियांँ !!
अनगिन सरसिज विहंँस रहे हैं ताल में!!
सारा गांँव गुँथा सौहार्द्र-माल में!!
खेतों-झूमे शस्य-श्यामल बालियाँ !
खगकुल-कलरव से गुंजित तरु डालियाँ!!
पक्षियों का कूजन हर्षित करता हृदय!
बैलों की घंटियों की रुनझुन सुखमय!!
नाद पर सहलाता होरी बैलों को!
चाट रही धेनु मुनिया के पैरों को!!
चूल्हे पर पकती रोटियों की महक!
सबके मुखड़े पर पुते हर्ष की चमक!!
यहांँ सभी उलझन सुलझाती चौपाल!
हर बाला राधा हर बालक गोपाल!!
मर्द गाँव का सिर पर पगड़ी सजाए!
और आंँचल में हर धानी मुस्काए!!
लज्जा की लुनाई में नारी लि...
























