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हिंदी राष्ट्र धरोहर है
कविता

हिंदी राष्ट्र धरोहर है

डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, (राजस्थान) ******************** हिंदी है वैज्ञानिक भाषा, भारत की पहचान है। लिपि इसकी देवनागरी, देवों की यह शान है। ब्रह्म गुप्त कुटिल से जन्मी नागर, सरल व्याकरण, इसका सुन्दर वर्ण विधान है अष्टम् अनुसूची में हिंदी राजभाषा, अक्षर-अक्षर करती भारत का गुणगान है। हिंदी भारत मां की सुन्दर बिंदी, हिन्द हिंदी हिन्दुस्तानी, भारत का अभिमान है। युगों-युगों से दुनिया की शिक्षा हिंदी, हिंदी रक्षक अपने देश का संविधान है। गागर में सागर भरती हिंदी, हिंदी राष्ट्र धरोहर है, विश्व में इसका मान है। कबीर पद मानस चौपाई हिंदी, हिंदी है देवों की भाषा पावन इसका धाम है। दुनिया में हिंदी का परचम लहराये, अजर अमर हो हिंदी, यह भारत की जान है। हिंदी सिखाती संस्कृति जगत को, विश्व सरगम भारत, हिंदी इसका गान है। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ...
प्यारे शिक्षक
कविता

प्यारे शिक्षक

डॉ. मिनाक्षी अनुराग डालके मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** प्यारे शिक्षक शिक्षक रूप है भगवान के दिखाते हैं रास्ते सन्मार्ग के सिखाते हैं, समझाते है और भरते हैं भंडार ज्ञान के शिक्षक रूप है भगवान के ऊंच-नीच का भेद मिटाकर देते है सबको एक ही ज्ञान ना कोई छोटा ना कोई बड़ा करते हैं काम इमान के शिक्षक रूप है भगवान के हर कदम पर जो दे साथ कठिन रास्तों में दिखाएं राह आसान यही है उनकी पहचान जो जलाते हैं दिए संस्कार के शिक्षक रूप है भगवान के गोविंद से बड़ा जिनका है नाम संसार दे जिन्हें ईश्वर रूपी सम्मान परम पूज्य ऐसे गुरुओं को मेरा प्रणाम जो दे सौगात शिक्षा रूपी उपहार के ऐसे शिक्षक रूप है भगवान के ऐसे शिक्षक रूप में भगवान के परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक ...
अध्यापक से मिली सीख
कविता

अध्यापक से मिली सीख

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** चंचल मन घूम रहे थे, नहीं कोई था डर, पढऩे जात स्कूल में, आते शाम को घर, रूखी सूखी चटनी छाछ, भोजन था प्यारा, थैला उठाकर जाते थे, पास स्कूल हमारा। शिक्षक मेरा शिव कुमार, बहुत कड़क था, लेख देख-देख डंडे मारता, जब भड़कता, पीट पीटकर कर दे लाल, डर लगता था, कोई शिकायत लेकर जाए, उसे घड़ता था। बहुत डर लगता पर, एक मजबूरी सामने, गरीबी हालात घर की, कागज कहां मिले, लेखनी कैसे चला पाऊं, हाथ मेरे बंधे थे, पर शिक्षक के व्यवहार, नहीं शिकवे गिले। उनकी एक ही शिक्षा, अपना लेख सुधारों, दस सफा लिखो राज के, ना समय गंवाओ, कलम, दवात, होल्डर, सभी को रखना पास, सुंदर लेख लिखकर, कक्षा पूरी को हँसाओ। शिक्षक आकर रोज कहे, लेख और सुधारो, मैं कहता गुरुजी डर लगता, डंडा मत मारो, फिर भी ५-७ मार डंडे के,पड़ पड़ वो पड़ते, बहुत उदास रहते देख, मन घुटता था हमारो। सोचा...
तुम्हारी बाहों मे
कविता

तुम्हारी बाहों मे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तुम्हारी बाहों मे रहने को जी चाहता हे गेसूंओ मे तेरे सर छुपाने को जी चाहता हे जिंदगी के कानून तो हमने निभा ही लिये मुन्तज़िर हू उम्मीदें जताने को जी चाहता है नही शिकवे कोई, नही बाते हंसी की है कोई अब तो तुमसे दिल लगाने को जी चाहता है गुजर रहा ज़माना वक्त-ए-दौर बाकी अभी ऑसूं-ए-दरिया में बह जाने को जी चाहता है खुद की तीरगी से बाहर निकल कर झांकों साथ तुम्हारे जिस्त बिताने को जी चाहता हे चकोरी का चाँद से क्या रूठना है "मोहन" फिर भी न माने तो मनाने को जी चाहता है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
अपनी भाषा हिंदुस्तानी
कविता

अपनी भाषा हिंदुस्तानी

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच ******************** सत्य अहिंसा न्याय दया की, रही सदा जो पटरानी। दुनिया में आला सबसे, हिंदी भाषा हिंदुस्तानी।। नस नस में है खून हिंद का, हिंदुस्तानी ऑन रहे। पले हिंद की भूमि में हम, हिंदी ही अभिमान रहे।। संस्कृति भाषा भूषा क, नहीं जहां सम्मान रहे। मानवता को दफनाने का, ही सचमुच सामान रहे।। है संकल्प यही हिंदी हित, देंगे हम हर कुर्बानी। दुनिया में आला सबसे , हिंदी भाषा हिंदुस्तानी।। अरबों की भाषा अरबी, यूनानकी जब यूनानी है। नेपाली नेपाल में है, जापानकी जब जापानी है।। जर्मनी रही है जर्मन की, इग्लैंड की इंग्लिशरानी है। क्योंकर भूल जाएंगे अपनी, भाषा जो सम्मानी है।। भाषा हिंदी भाल की बिंदी, नहीं करेंगे नादानी। दुनिया में आला सबसे, हिंदी भाषा हिंदुस्तानी।। तिब्बती भाषा है तिब्बत की, बर्मी बर्मा की सबजाने। पुर्तगाली है पुर्तगाल की, क्या इससे हैं अनजाने।। र...
जिंदा मुर्दा बाप
कहानी

जिंदा मुर्दा बाप

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** इस समय पितृ पक्ष चल रहा है। हर ओर तर्पण श्राद्ध की गूँज है। अचानक मेरे मन में एक सत्य घटना घूम गई। रमन (काल्पनिक नाम) ने कुछ समय पहले मुझसे एक सत्य घटना का जिक्र किया था। रमन के घर से थोड़ी ही दूर एक मध्यम वर्गीय परिवार रहता था। बाप रिटायर हो चुका था। दो बेटे एक ही मकान के अलग अलग हिस्सों में अपने परिवार के साथ रहते थे। पिता छोटे बेटे के साथ रहते थे। क्योंकि बड़ा बेटा शराबी था। देखने में सब कुछ सामान्य दिखता था। दोनों भाईयों में बोलचाल तक बंद थी। अचानक एक दिन पिताजी मोहल्ले में अपने पड़ोसी से अपनी करूण कहानी कहने लगे। हुआ यूँ कि दोनों बेटों ने उनके जीवित रहते हुए ही उनका फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर एक दूसरा मकान, जो पिताजी ने नौकरी के दौरान लिया था, उसे अपने नाम कराने की साजिश लेखपाल से मिलकर रच डाली। संयोग ही था क...
हिंदी मेरी
कविता

हिंदी मेरी

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** हिंदी मेरी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! हिंदी के हम कर्मयोगी, हिंदी मेरी पहचान, हिंदी मेरी जन्मभूमि, हिंदी हमारी मान, हम हिंदी कि सेवा करते है, हम जान उसी पे लुटाते है ! हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी हमारी जान ! है वतन हम हिंदुस्तान के, भारत मेरी शान, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी हमारी एकता, हिंदी में हम बस्ते है , हिंदी मेरी माता ! हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! हिंदी मेरी वाणी, हिंदी मेरा गीत, ग़ज़ल, हिंदी के हम राही, हिंदी के हम सूत्र-धार, हिंदी मेरी विश्व गुरु, हिंदी मेरी धरती माता ! हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तै...
हिंदी ही आधार है
कविता

हिंदी ही आधार है

संजय जैन मुंबई ******************** जब सीखा था बोलना, और बोला था माँ। जो लिखा जाता है, हिंदी में ही सदा।। गुरु ईश्वर की प्रार्थना, और भक्ति के गीत। सबके सब गाये जाते, हिंदी में ही सदा। इसलिए तो हिंदी, बन गई राष्ट्र भाषा।। प्रेम प्रीत के छंद, और खुशी के गीत। गाये जाते हिंदी में, प्रेमिकाओ के लिए। रस बरसाते युगल गीत, सभी को बहुत भाते। और ताजा कर देते, उन पुरानी यादें।। याद करो मीरा सूर, और करो रसखान को। हिंदी के गीतों से बना, गये इतिहास को। युगों से गाते आ रहे उनके हिंदी गीत। गाने और सुनने से, मंत्र मुध हो जाते।। मेरा भी आधार है, मातृ भाषा हिंदी । जिसके कारण मुझे, मिली अब तक ख्याति। इसलिए माँ भारती को, सदा नमन करता हूँ। और संजय अपने गीतों को हिंदी में ही लिखता है। हिंदी में ही लिखता है।। मातृभाषा हिंदी को, शत शत वंदन में करता हूँ। और अपना जीवन हिंदी को समर्पित करता हूँ। हिंदी को समर्...
यायावर
कविता

यायावर

माया मालवेन्द्र बदेका उज्जैन (म.प्र.) ******************** कुछ अपने कुछ अपनों के सपने पूरे करने थे, किये। उसकी सपनों की दुनिया में वह भी थी, आई यायावर भाई का था, भाई बेचारा था उसको किसी बाला ने आहत किया कुंवारा था। यायावर बहन का था, बहनोई आवारा था यायावर ने बहन को दुलारा था। यायावर माँ का प्यारा था नौ महिने का कर्ज संवारा था। यायावर मित्रो का था सखा संग बचपन गुजारा था। यायावर उन सभी गुणा भाग जोड़ घटाव के रिश्तों का प्यारा था। ऊंची चढ़ती सीढ़ी में वह सबके लिए न्यारा था। जिद, दम्भ, श्रम, धन, वैभव कीर्ति सब साथ हुए अछूता रह गया वह मन वह सपनों की दुनिया जो जीवन भर साथ चली छलता गया कर्त्तव्य, अधिकार फर्ज के नाम पर यायावर जीवन भर चलती साथ लाठी को अवमानित करता रहा उसके सपनों को अपनों को जोड़ने का जो सबसे बड़ सहारा था। मूक ह्रदय मौन समर्पण करती रही उसने अपना जीवन हारा था। परिचय :- नाम -...
मैं हिंद की बेटी हिंदी
कविता

मैं हिंद की बेटी हिंदी

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** भारत के, उज्जवल माथे की। मैं ओजस्वी ......बिंदी हूँ। मैं हिंद की बेटी .....हिंदी हूँ। संस्कृत, पाली,प्राकृत, अपभ्रंश की, पीढ़ी-दर -पीढ़ी ....सहेली हूँ। मैं जन-जन के, मन को छूने की। एक सुरीली .......सन्धि हूँ। मैं मातृभाषा ........हिंदी हूँ। मैं देवभाषा, संस्कृत का आवाहन। राष्ट्रमान ........हिंदी हूँ।। मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ। पहचान हूँ हर, हिन्दोस्तानी की.... मैं। आन हूँ हर, हिंदी साहित्य के अगवानों की........मैं।। मां, बोली का मान हूँ...मैं। भारत की, अनोखी शान हूँ......मैं।। मुझको लेकर चलने वाले, हिंदी लेखकों की जान हूँ ....मैं। मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ। मैं राष्ट्र भाषा .........हिंदी हूँ। विश्व तिरंगा फैलाऊँगी। मन-मन हिन्दी ले जाऊँगी।। मन को तंरगित कर। मधुर भाषा से। हिंदी को, विश्व मानचित्र पर, सजा कर आ...
देववाणी तेजस्विनी हिंदी
कविता

देववाणी तेजस्विनी हिंदी

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** भाषाओं के नभ में शोभित शशि-सम तेजस्विनी हिंदी संस्कृत इसकी दिव्य जननी यशश्विनी इ दुहिता हिंदी राष्ट्र की संस्कृति-वाहक भारत की सिरमौर हिंदी सरस्वती वीणा से झंकृत देववाणी है यह हिंदी व्याकरण इस का वैज्ञानिक परिष्कृत प्रांजल है हिंदी हर अभिव्यक्ति में सक्षम सशक्त सरल संप्रेषणीय हिंदी स्वर-व्यंजनों से सुसज्जित अयोगवाह अलंकृत हिंदी रस छंद अलंकार से मंडित बह चली सुर-सरिता हिंदी विश्वस्तरीय औ कालजयी साहित्य-सृजन-सक्षम हिंदी तुलसी सूर मीरा निराला के हृदय की रानी हिंदी हिंद की साँस में बसती यह जन जन की प्यारी हिंदी कश्मीर से कन्याकुमारी श्वास-श्वास-बसी हिंदी बहुभाषा भाषी हैं हम, तो सबको मान देती हिंदी सभी भाषाओं को एक ही सूत्र में पिरोती हिंदी दोनों ही बाँहें फैलाए सभी को अपनाती हिंदी अंँग्रेजी उर्दू सब बोली को बिन दुर्भावना वरे हिंदी...
हिन्दी, हिन्द का ह्रदय स्पन्दन
कविता

हिन्दी, हिन्द का ह्रदय स्पन्दन

राजकुमार अरोड़ा 'गाइड' बहादुरगढ़ (हरियाणा) ******************** हिन्दी, हिन्द का ह्रदय स्पन्दन तिरंगे सी महान,एकता की पहचान, देवभाषा की संतान हिन्दी ने सदभाव खूब बढ़ाया है। हिन्दी हिन्द का गौरव है, जिसकी सरलता और व्यापकता ने पूरे विश्व में परचम लहराया हैं।। अंग्रेजी-अंग्रेजी रटने वालो, तुमने स्वयं ही तो, मातृभाषा का मान घटाया है। क्या कभी अंग्रेजों ने, अपने देश में, किसी भी तरह, अंग्रेजी दिवस मनाया है।। हिन्दी, मनभावन हिन्दी, प्यारी हिन्दी, दुलारी हिन्दी, हिन्दी हिन्द की ह्रदय स्पन्दन। आओ लिखें हिन्दी, पढ़े हिन्दी, बोलें हिन्दी, यही तो है, हिन्दी का पूर्ण अभिनन्दन।। साहित्य, सिनेमा, सोशल मीडिया, दूरदर्शन में, हिन्दी प्रयोग से मिट गई हैं, सब दूरियां। हिन्दी को ह्रदय में बसा लो, अपना बना लो, फिर मिट जायेंगी, सब मजबूरियां।। हिन्दी है, हमारे ह्रदय की, धड़कन, ये धड़कती धड़कन, है हमारा अमिट प्यार...
जब निर्णय लेना मुस्किल हो
कविता

जब निर्णय लेना मुस्किल हो

माधवी मिश्रा (वली) लखनऊ ******************** जब जीवन के दोराहों पर, असमंजस के चौराहों पर कोई निर्णय लेना मुस्किल हो, और साथ मे अंधी मंजिल हो जब मन मस्तक मे द्वंद छिड़े, हृदय विवेक लड़े झगड़े फिर किसको कैसे समझाऊँ किस ओर कहां मैं झुक जाऊँ यह मूल समस्या जीवन की, अविराम रही उलझी उलझी पथ जाने कितने मोड़ मुड़े पर दिल दिमाग ये नही जुड़े सालीन विवेकी राहो मे काँटो के निर्मम तार के मिले हृदय गवाही दिया जिसे उसमे रखे औजार मिले ऐसी दुविधा ही बनी रही जब भी जितने भी कदम चले अब तक कोई ना हुआ अपना सबने मिलकर विस्वास छले।। परिचय :- माधवी मिश्रा (वली) जन्म : ०२ मार्च पिता : चन्द्रशेखर मिश्रा पति : संजीव वली निवासी : लखनऊ शिक्षा : एम.ए, बीएड, एलएल बी, पीजी डी एलएल, पीजीडीएच आर, एमबीए,। प्रकाशन : तीन पुस्तकें प्रकाशित अनेक साझा संकलन, काव्य, लेख, कहानी विधा पत्र पत्रिकाओं रेडियो दूरदर्शन पर-प्रकाशन, प्रसा...
बुद्धिमान बालक
बाल कहानियां

बुद्धिमान बालक

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* बहुत पुरानी बात है। दक्षिण भारत में एक दयालु, न्यायप्रिय, प्रजा हितेषी एक राजा थे। उन्हें पशु-पक्षियों से बहुत प्यार था। वे पशु-पक्षियों से मिलने के लिए वन में जाते थे। हमेशा की तरह एक दिन राजा पशु-पक्षियों को देखने के लिए वन में गए। अचानक आसमान में बादल छा गए और तेज-तेज बारिश होने लगी। बारिश होने के कारण उन्हें ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, राजा रास्ता भटक गए। रास्ता दूंढते-ढूंढते किसी तरह वे जंगल के किनारे पहुंच ही गए। भूख-प्यास और थकान से बेचैन राजा, एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए। तभी राजा को उधर से आते हुए तीन बालक दिखाई दिए। राजा ने उन्हें प्यार से अपने पास बुलाया, बच्चों यहां आओ। मेरी बात सुनो। तीनों बालक हंसते-खेलते राजा के पास आ गए। तब राजा बोले-मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है, क्या मुझे भोजन और पानी मिल सकता है। बालक बोले, ...
चंपा का फूल
कविता

चंपा का फूल

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** चंपा के फूल जैसी प्रिये काया तुम्हारी मन को आकर्षित कर देती जब तुम खिल जाती हो चंपा की तरह। तुम भोरे, तितलिया के संग जब भेजती हो सुगंध का सन्देश वातावरण हो जाता है सुगंधित और मै हो जाता हूँ मंत्र मुग्ध। प्रिये जब तुम सँवारती हो चंपा के फूलो से अपना तन जुड़े में, माला में और आभूषण में तो लगता स्वर्ग से कोई अप्सरा उतरी हो धरा पर। उपवन की सुन्दरता बढती जब खिले हो चंपा के फूल लगते हो जैसे धवल वस्त्र पर लगे हो चन्दन की टीके। सोचता हूँ क्या सुंदरता इसी को कहते मै धीरे से बोल उठता हूँ प्रिये तुम चंपा का फूल हो। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में न...
मुद्दे उठाए जाते हैं
कविता

मुद्दे उठाए जाते हैं

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मेरे देश में, मुद्दे उठाए जाते हैं। जिंदगी के असल सच से, लोगों के ध्यान हटाए जाते हैं। घटना को, घटना होने के बाद, देकर दूसरा ही रुख। असल घटनाओं पर, पर्दे गिराए जाते हैं। मेरे देश में मुद्दे उठाए जाते हैं। जिंदगी किन, हालातों में बसर करती है। पंचवर्षीय सरकारों में, अमीर- गरीब के मापदंडों में, मध्यवर्ग को, बस वायदे ही थमाए जाते हैं। मेरे देश में, मुद्दे उठाए जाते हैं। जागे.....असल पहचानिए। जो कानों को, सुनाया जाता है। आंखों को दिखाया जाता है। दो रोटी कमाने के लिए, हम और आप कितनी लड़ाई लड़ते हैं। हमें मुद्दों में, कितना बहलाया जा रहा है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
खुशियों का पैगाम
कविता

खुशियों का पैगाम

रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. ******************** किसी की याद जब हद से गुजर जाए तो कोई क्या करें.... कोई दूर रहकर भी बहुत याद आये तो कोई क्या करे.... न मिलना हो मुमकिन, न भूलना हो मंजूर.... कोई फितूर बनकर छा जाए तो कोई क्या करे ये खुदा!!!!! अब तो मदद कर या तो मिला दे उसको या फिर ज़ेहन से ही मिटा दे क्योंकि होश के बादल जब छाए तो कोई क्या करे अब जीना भी हुआ मुश्किल और मौत भी आती नहीं ऐसे में बेहोशी अगर छा जाए तो कोई क्या करे ये खुदा!!!!! अब तू ही राह दिखा वरना हर तरफ जब अंधेरा ही दिखाई दे तो कोई क्या करे अब तो हर तरफ बिखेर दे उम्मीदों की लड़ियाँ.... क्योकि मायूसी अगर छा जाए तो कोई क्या करें।। अब बस बहुत हुआ.... अब तो बस कोई खुशियों का पैगाम ही आये, दिल ये दुआ करे परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस...
विश्वास
कविता

विश्वास

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** विश्वास की टूट गई है रीढ़! अपनापन नहीं रह गया अब दृढ़!! सदाशयता को हुआ पक्षाघात! अविश्वास देत है नित आघात!! संबंधों की खो गई ऊष्मा! भावनाओं की पूँजी ना जमा!! चहुंँ दिशि हुआ घनीभूत स्वार्थ! निरंतर छीजन ग्रसित परमार्थ!! संस्कारों की डोर पड़ी झीनी! उद्दंडता ने सब लज्जा छीनी!! आंँधी चली है पाश्चात्य की! जड़ें उखड़ी हैं पौर्वात्य की!! आत्मीयता को ग्रस रहा राहू! अपनों को तृषित हो रहे बाहू!! विश्वास का हुआ चतुर्दिक अभाव! घृणा वैमनस्य का बढ़ा प्रभाव!! निष्ठा त कहीं पड़ी हैं मृतप्राय! विश्वास की पूंँजी गलती जाय!! नेह, विश्वास, त्याग, करुणा तज! युग वरे अहं, स्वार्थ, घृणा अज!! विद्वेष का आँचल बढ़ता जाए! सौहार्द्र न अब मन को लुभाए!! संवेदनाओं की गागर रीती! भावुक मन पर, पूछो क्या बीती!! प्रभु! ऐसी कोई हवा चल जाय... युग की नस में ही नेह ढल जाय...
सूक्ष्म पुरुस्कार
कविता

सूक्ष्म पुरुस्कार

गौरव हिन्दुस्तानी बरेली (उत्तर प्रदेश) ******************** युगों-युगों से अडिग खड़े हो, भयंकर आँधियों में, भीषण तूफ़ानों में, बारिशों में, विनाशकारी ओलावृष्टियों में, और तनिक भी न हिले हलाचला आने के बाद भी नहीं, प्रतिवर्ष, प्रतिदिन प्रतिपल देते रहे तुम, शीतल छाया, प्राणदायिनी वायु सभी को, और देते रहे अनुमति पक्षियों को, घोसले बनाने की अपनी विशाल शाखाओं पर बाँधें रहे मिट्टी के एक-एक कण को, अपनी जड़ों से, ऐसी श्रेष्ठतम, सर्वोत्तम, निस्वार्थ सेवा पर, हे बरगद के प्राचीन विशाल वृक्ष मैं अलंकृत करता हूँ तुम्हें पद्मश्री, पद्मविभूषण तथा भारत रत्न जैसे सूक्ष्म पुरुस्कारों से। परिचय :- गौरव हिन्दुस्तानी निवासी : बरेली उत्तर प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
आशिक तू हमें
कविता

आशिक तू हमें

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच ******************** आशिक तू हमें, दिलको कू-ए-यार बना दे। या रब तू अपने, इश्क का बीमार बना दे।। ये सिर तेरे आगे ही झुके मालिके जहां। तेरे ही आगे हाथ उठे मालिके जहां।। दिल तेरी हम्दे पाक पढ़े मालिके जहां। पग राहे हक में ही ये बढ़े मालिक जहां।। यूँ हक की सल्तनत का पैरोकार बना दे। या रब तू अपने इश्क का बीमार बना दे।। इंसाफ पर चलने की हमें राह बता दे। मिलने की तमन्नाओं को तू अपना पतादे।। तेरे हैं इस जहान को मौला तू जता दे। खाते में फरिश्तों से कह के नाम खता दे।। नबीयों का रसूलों का वफादार बना दे। या रब तू अपने इश्क का बीमार बना दे।। माले हराम पेट में जाने नहीं पाए। छल दिल में कभी पैर जमाने नहीं पाए।। नफरत जेहन में भूल के आने नहीं आने नहीं पाए। गुस्सा कभी भी सिर को उठाने नहीं पाए।। यूँ जिंदगी में सब्र को साकार बना दे। या रब तू अपने इश्क का बीमार बना दे।। जो क...
शिक्षक दिवस
कविता

शिक्षक दिवस

डॉ. उपासना दीक्षित गाजियाबाद उ.प्र. ******************** शिक्षा का कर्णधार, क्यों इतना लाचार, कलम की अस्मिता का, मूल्य हुआ निराधार, कलम के सिपाही, पर बेड़ियाँ हजार, असमानता की खाई में, गिर कर हुआ बेकार। आरक्षण की वैसाखी, और व्यक्तिगत संस्थाएँ, शिक्षक की गरिमा को, खूंँटी पर लटकाते, घिसो कलम और घिसो, रक्त बूँद शेष तन में, और घिसो और घिसो, मुँह न खोलो, होंठ सिलो, कम वेतन, कार्य करो, शिक्षा का सूत्रधार, रो रहा लगातार, कलम की अस्मिता का, मूल्य हुआ निराधार। विश्व गुरु का मन अस्वस्थ, पर पुस्तक पर दृष्टि पैनी, रोटी की आपाधापी, बातें 'प्रमुख 'की सहनी, राजनीतिक पदों पर, अनपढ़ों की भरमार, राष्ट्र का निर्माता बना, वित्तहीन बेरोजगार, सत्ता के मदान्धों ने किया, शिक्षा का बंटाधार, बंदरों की मंडली में कैसे, हो शिक्षक दिवस साकार। परिचय :- डॉ. उपासना दीक्षित जन्म - ३० दिसंबर १९७८ पिता - स्व. ब्रजन...
हिन्दी हमको भाती है
कविता

हिन्दी हमको भाती है

भारत भूषण पाठक देवांश धौनी (झारखंड) ******************** हिन्दी हमको भाती है, सबको खूब सिखाती है, चुन्नी-मुन्नी तुम भी पढ़ लो, दीदी आज बताती है। जन-जन की भाषा हिन्दी, कहता रंभाकर नन्दी, कोयल बागों में बोले, सुन्दर लगती है बिन्दी। संस्कृत भाषा की बेटी, नेह बाँहों में समेटी, यही बनाती है ज्ञानी, समृद्धि देती भर पेटी। परिचय :- भारत भूषण पाठक 'देवांश' लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका (झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ...
बेरोजगार
कविता

बेरोजगार

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** देश विदेश में शिक्षा की, ना बन पाया कुछ काम। युवाओं का हाल हुआ बेहाल, एक के साथ एक हो रहे बेरोजगार...... बेरोजगार की है अनेक परिभाषा, पर ना कर पाया कोई उसे परिभाषित। एक काम पर अनेक करते काम, कभी प्रच्छन्न तो कभी घर्षित हो जाते बेरोजगार...... मशीनीकरण की क्रांति एसी आई, हजारों का कार्य मशीनों ने लिया। हस्तशिल्प उद्योग पर है बढ़ावा, पर आगे चलकर ना आता कोई बेरोजगार...... परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ...
छोटा कलमकार
गीत

छोटा कलमकार

अवधेश कुमार 'कोमल' जमोलिया, बाराबंकी (उ.प्र.) ******************** जो दिल में आता है साहब, बस कहने की कोशिश करता हूं। मैं छोटा सा कलमकार हूं, बस लिखने की कोशिश करता हूं।। मैं लिखता हूं मातृ भूमि पर, गद्दरों से आहत होकर। मैं लिखता हूं धर्म के ठेकेदारों से घायल हो होकर।। मैं लिखता हूं खद्दर धारी नेताओं के बारे में। जिसने विष रस घोल दिया है, गांव गली-चौबारे में।। मैं कहता हूं भारत के उस अद्भुत पी.एम नरवर से। मैं कहता हूं भारत के उस अटल अलौकिक नव स्वर से।। जिसने हटा तीन सौ सत्तर, कश्मीर देश में मिला दिया। वर्षों का वनवास राम का एक ही छण में मिटा दिया।।   परिचय :- अवधेश कुमार 'कोमल' पिता : शिव बालक यादव निवासी : जमोलिया, बाराबंकी (उ.प्र.) उद्घोषणा : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के...
इक अफसाने को याद कर
कविता

इक अफसाने को याद कर

बबली राठौर पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.) ******************** मेरी आज इक अफसाने को याद कर रात गुज़रेगी सनम जो कल मुझसे मिले थे उनकी याद कर रात गुजरेगी सनम दो पल ठहरे थे कि उनसे मुलाकात हुई थी हमसे बस लब्जो के बाण जो चले आज वो याद कर रात गुजरेगी सनम उन लम्हों में मुझे अपनापन सा मिला था जीवन का मुहोब्बत हो चली है मुझे वो बातें याद कर रात गुजरेगी सनम मेरे हर गम, जख्म, दर्द को तथा जज्बातों को समझा था उन्होंने मेरी आँखों से जो खुशी छलकी थी वो याद कर रात गुजरेगी समन जिन्दगी का वो हसीन महीना, दिन, तरीख आज ही तो है क्योंकि उन्होंने मेरा आज ही हाथ थामा है वक्त याद कर रात गगुजरेगी सनम कभी भी मुझ संग तुम दगा, दिल्लगी ना करना और बेवफाई क्योंकि आज तुम्हारी वो हर कसमें याद कर रात गुजरेगी सनम परिचय :- बबली राठौर निवासी - पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र. घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार स...