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दिल के रिश्ते
गीत

दिल के रिश्ते

संजय जैन मुंबई ******************** अपने बचपन की बातें आज याद कर रहा हूँ। कितना सच्चा दिल हमारा तब हुआ करता था। बनाकर कागज की नाव, छोड़ा करते थे पानी में। बनाकर कागज के रॉकेट, हवा में उड़ाया करते थे। और दिल की बातें हम किसी से भी कह देते थे। और बच्चों की मांग को सभी पूरा कर देते थे।। न कोई भय न कोई डर, हमें बचपन में लगता था। मोहल्ले के सभी लोगों से जो लाड प्यार मिलता था। इसलिए आज भी उन्हें में सम्मान देता हूँ। और उन्हें अपने परिवार का हिस्सा ही समझता हूँ।। जो बचपन की यादों से अपना मुँह मोड़ता है। और उन सभी रिश्तों को समय के साथ भूलता है। उससे बड़ा अभागा और कोई हो नहीं सकता। जो अपने स्वर्णयुग को कलयुग में भूल रहा है।। सगे रिश्तो से बढ़कर होते मोहल्ले के रिश्ते। तभी तो सुख दुख में सदा ही खड़े हो जाते है। और अपनों से बढ़कर निभाते सभी रिश्ते। इसलिए मातपिता जैसे वो सभी लोग होते है। और हमें ये लो...
करे योग रहे निरोग
कविता

करे योग रहे निरोग

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** वो मेरे देश के बच्चे, बुढ़ो, महिलाओं और नौजवानों, राम देव बाबा के योग्य विद्या को तुम जरा पहचानो। राम देव बाबा हर भारतीय को रहे समझाय, जो जन नित्य सुबह योग करे भाय । उसके निकट जल्दी कोई रोग नहीं आय, रामदेव बाबा रोज योग कर रहे और रहे कराय। योग गुरु बाबा रामदेव रहे सबको समझाय, विश्व योग दिवस सम्पूर्ण विश्व हर वर्ष रहा मनाय। रोगों को अपने शरीर से वही रहा भगाय, जो जन नित्य योग सुबह-सुबह करे भाय। उसके शरीर से रोग हो जाय टाटा बाय बाय, उदर, हृदय और मधुमेह रोग उनके निकट कभी न जाय। जो जन नित्य सुबह-सुबह योग करन जाय, जो नित्य सुबह-सुबह करे नियमित योग। वो सदैव रहे स्वस्थ, मस्त और रहे निरोग, जो रहे स्वस्थ, मस्त व निरोग उसका डॉक्टर से जल्दी होत नहीं योग। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र ...
शिक्षक क्या है
कविता

शिक्षक क्या है

अंजली कुमारी सैनी चैनपुर, सीवान, (बिहार) ****************** शिक्षक हमारे गुरु होते है, जैसे बुजुर्गों ने कहाँ है, की शिक्षक एक भगवान का रुप होते है, और उनका आदेश का पालन करना, हमारा परम कर्तव्य बनता है, उन्हें भेद-भाव का कोई भावना नही होता है, एक विद्यार्थी का जीवन मे, शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है शिक्षक वैसे होते हैं, जो विद्यार्थी पर ज्यादा ध्यान रखते है, और विद्यार्थी को भी वैसा होना चाहिए, की शिक्षक के हर बातों को, ध्यान से सुनना , समझना चाहिए, एक विद्यार्थी के जीवन मे, शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जो अपने ज्ञान, धैर्य और प्यार से , देख-भाल कर उसके पूरे जीवन को, एक मजबूत आकार देते है, इस संसार मे, शिक्षक के पदों को, सबसे अच्छा और आदर्श, पदों के रुप मे, माना जाता है, क्योकिं शिक्षक किसी के, जीवन सवारने मे, निस्वार्थ-भाव से सेवा देते है! परिचय : अंजली कुमारी सैनी शिक्षा : ...
लिविंग रिलेशनशिप
आलेख

लिविंग रिलेशनशिप

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ******************                           मराठी नाटकों की अपनी एक अहमियत होती हैं और उनमें व्यवसायिकता भी भरपूर पायी जाती हैं। मुझे भी मराठी नाटक देखने का बहुत शौक हैं और इसी कड़ी में कुछ दिनों पूर्व एक मराठी नाटक देखने का अवसर प्राप्त हुआ। नाटक का नाम था 'झालं गेलं विसरुन जा' अर्थात जो भी हुआ उसे भूल जाओं। वैसे हिंदी में कहावत भी हैं, 'बीती ताही बिसार दे।' नाटक की समीक्षा करने का कोई विचार मेरे मन में नहीं हैं, परंतु नाटक के विषय की ओर सबका ध्यान जरुर आकर्षित करना चाहूंगा। नाटक का विषय था स्त्री-पुरुषों के अनैतिक शारीरिक संबंध। इससे भी महत्त्वपूर्ण यह कि विवाह संस्था हेतु स्थापित सामाजिक नैतिक परम्पराओं और मूल्यों को ध्वस्त करते हुए पत्नी के मित्र के साथ स्थापित अनैतिक शारीरिक संबंधों को पति द्वारा बडी सहजता और सरलता से मान्यता देते हुए स्वीकार करना। यहाँ...
गणित मां पापा का
लघुकथा

गणित मां पापा का

नीलम तोलानी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** (रात दस बजे का वक्त सोने की तैयारी) नवल अपनी पत्नी सोनिया का हाथ पकड़कर.. नवल : सोनू तुम बहुत अच्छी हो, तुम्हें पाकर मैं धन्य हो गया। आज तुम ना होती, तो ना मैं बीमार मां को गांव से ला पाता ना वो इतनी जल्दी स्वस्थ हो पाती। घर, नौकरी, मां, सब कुछ कितनी अच्छी तरह संभालती हो तुम। सोनिया : वह मेरी भी तो मां है नवल, क्यों ऐसा बोल रहे हो? नवल : थैंक यू सोनिया!! सोनिया : सुनो एक बात कहनी थी, नवल : बोलो ना प्लीज.. सोनिया : तुम तो जानते हो, मैं अपने मम्मी पापा की इकलौती संतान हूं, पापा के जाने के बाद मम्मी बहुत अकेली हो गई है। फिर उम्र का भी तकाजा है। क्यों ना हम उन्हें यहां ले आए, उनका भी मन लग जाएगा। नवल : सोनू यार! कैसी बात कर रही हो? दामाद के घर जाकर भी कोई रहता है क्या? फिर हमारा रूटीन भी डिस्टर्ब होगा... उन्हें कहना कभी-कभी यहां आ जाया ...
पंछी
कविता

पंछी

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** देखकर हालात कहता, है मेरे मन का अनुभव। नींड का निर्माण होना, है असंभव। देखते हो क्या नहीं तुम, घिर उठी बदली गगन में आंकते हो क्या नहीं तुम, क्षणिक देरी है प्रलय में। बहलिये का सर सधा है, आज इस नन्हें सदन में, जीत होगी क्या हमारी, हो रही शंका हर्दय में। स्वपन का साकार होना, है असंभव, नीड़ का निर्माण होना है असंभव। मिलन के इस मृदु क्षणों में क्यों न पूछू प्रश्न नटवर, घन्य यदि जग पा सके कुछ, शव हमारा प्राण प्रणवर। सुन बहे उदगार सत्वर। मिलन का अभिसार होना है असंभव। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र...
शिक्षकों के सम्मान में ऑनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न
साहित्यिक

शिक्षकों के सम्मान में ऑनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न

                                  दिल्ली। साहित्य संगम संस्थान दिल्ली के तत्वाधान में आयोजित शिक्षकों के सम्मान में ०६/०९/२०२० को दोप. १ बजे से गूगल मीट पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें आमंत्रित कवियों में पुणे महाराष्ट्र से आद सोनी गौतम जी, बरेली उत्तर प्रदेश से आद डॉ दीपा संजय दीप जी, लखनऊ उत्तर प्रदेश से आद अर्चना वर्मा जी, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से आद जयहिंद सिंह हिंद जी, जबलपुर मध्यप्रदेश से आद छाया सक्सेना जी, भिवानी हरियाणा से आद विनोद वर्मा जी, भिंड मध्यप्रदेश से मनोरमा जैन पाखी जी, मेदनी नगर झारखंड से आद राम प्रवेश पंडित जी की उपस्थित हुए, प्रमोद पाण्डेय जी, तकनीकी समस्या के कारण असम से आद सुचि संदीप सुचिता जी उपस्थित नहीं हो पाये, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आद तेजराम नायक तेज जी रायगढ़ छत्तीसगढ़, विशिष्ट अतिथि आद डॉ राकेश सक्सेना जी एटा उत्तर प्रदेश कार्यक्रम के अध्यक्ष आद राज...
शराफ़त
ग़ज़ल

शराफ़त

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** रिवायत को शराफ़त से निभाया ही नहीं जाता। उधर मैं भी नहीं जाता, इधर वो भी नहीं आता। उसे मैं सामने पाकर निगाहें फेर लेता हूँ, वही उसको नहीं भाता, वहीं मुझको नहीं भाता। जताता है वही अक़्सर सफ़र में होंसला अपना, कभी कोई मुसाफ़िर जब तलक ठोकर नहीं खाता। किनारे चाहते हैं रोज़ ही मझधार से मिलना, मग़र लहरों का पानी दूर इतना चल नहीं पाता। कभी मिलकर ये सूरज, चाँद तारे बात करते हैं, भला हमसे जमाने का अँधेरा हट नहीं पाता। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रच...
नारी का सम्मान करो
कविता

नारी का सम्मान करो

मीना सामंत एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली) ******************** समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को बंदिशों में जकड़ी एक भोली भाली नारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! तरह-तरह के छल दुनिया में छल से छली गई जीत भरोसा उसका,छली बेंच रहे व्यापारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! नौ दिन देवी समझें फिर जुल्मों अत्याचार करें मंदिर में प्रतिबंधित देखा है भाग्य की मारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! जिसका जो भी मन सब कहकर चलते बनते हैं जब तब कड़वे ताने सुनते पाया उस संसारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! नारी का सम्मान करो,कभी नहीं अपमान करो देख रहा भगवान अत्याचार संग अत्याचारी को! समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को नारी से है देश महान,जिससे बढ़ती देश की शान आंचल में ममता,दया,पलकें अश्कों से भारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! परिचय :- मीना सामंत एम.बी. रोड (न्यू द...
मेरे सपने
कविता

मेरे सपने

डॉ. मिनाक्षी अनुराग डालके मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** अभी तो मेरे सपनों की बहुत बड़ी उड़ान बाकी है बहुत कुछ पा लिया और बहुत कुछ पाने की ख्वाहिश बाकी है... हर वक्त मन में एक हलचल सी रहती है जैसे सागर में लहरों का शोर अभी और बाकी है कभी-कभी लगे कि बहुत कुछ है जीने के लिए मेरे पास.... लेकिन कभी लगे ऐसा जैसे अभी तो अपनी पहचान बनाना बाकी है... कभी दिल कहता है कि छोड़ दे उम्मीदें लगाना लेकिन कभी लगे ऐसा जैसे अभी तो आसमान से तारे तोड़कर लाना बाकी है... शायद इसीलिए मेरे सपनों की अभी एक और उड़ान बाकी है अभी एक और उड़ान बाकी है परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय ...
गूढ़ रहस्य
लघुकथा

गूढ़ रहस्य

राकेश कुमार तगाला पानीपत (हरियाणा) ******************** पापा आप हर बात में अपनी सलाह क्यों देते रहते हैं? आपका अपना ही अलाप बजता रहता है। तभी दूसरा बेटा भी आ गया। पापा हर मामले में अपनी टाँग अड़ाना जरूरी है। शर्मा जी, चुपचाप दोनों बेटों की बातें सुन रहे थे, जो उन्हें किसी शूल की भाँति चुभ गई थी। यह कोई पहली बार नहीं हो रहा था। अब तो हर रोज का यही काम था। सुबह से ही घर में कलह शुरू हो जाता था। शर्मा जी ने बड़े जतन से घर की एक-एक चीज जोड़ी थी। वह किस तरह उन्हें बर्बाद होते देख सकते थे। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने अपनी सारी जमा-पूँजी खर्च कर दी थी। पत्नी के साथ मिलकर उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह समय पर पूरा किया था। पर उनसे कहीं ना कहीं भारी चूक हो गई थी। जो आज अपने ही परिवार में उन्हें उपेक्षा झेलनी पड़ रही थी। रोज की तरह, वह सुबह पार्क की तरफ चल पड़े। गेट पर ह...
शिक्षकों से मिला हमें
कविता

शिक्षकों से मिला हमें

संजय जैन मुंबई ******************** दिया मुझे शिक्षकों ने, हर समय बहुत ज्ञान। तभी तो पढ़ लिखकर, कुछ बन पाया हूँ। इसलिए मेरी दिल में, श्रध्दा के भाव रहते है। और शिक्षकों को मातपिता से बढ़ाकर उन्हें सम्मना देता हूँ। जो कुछ भी हूँ मैं आज, उन्ही के कारण बन सका। इसलिए उनके चरणों में, शीश अपना झुकता हूँ।। शिक्षा का जीवन में लोगों, बहुत ही महत्त्व होता है। जो इससे वंचित रहता है जीवन उनका अधूरा होता है। शिक्षा को कोई न बाट और न छिन सकता है। जीवन का ये सबसे अनमोल रत्न जो होता है। धन दौलत तो आती और जाती रहती है। पर ज्ञान हमारा संग देता जिंदगीकी अंतिम सांसों तक।। जितना तुम पूजते अपने मात पिता को। उतना ही गुरुओं को भी अपने दिल से पूजो तुम। देकर दोनों को तुम आदर, एक तराजू में तौलो तुम। दोनों ही आधार स्तंम्भ है, तुम्हारे इस जीवन के। जो हर पल हर समय, काम तुम्हारे आते है। तभी तो मातपिता और, शिक्षक दिवस...
विरह-वेदना
कविता

विरह-वेदना

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** आतुर विरह की स्वर बून्दो में भर प्रियतम की अधरों पर बरस। हे ऋतुओ की रानी विरह वेदना को कर सरस पावस की अगणितकण बरस-बरस। प्रिया है ब्याकुल-आतुर विरह की वेदना बून्दो में भर तू प्रियतम की सूखी अधरों पर बरस। कोयल की कुक-चातक की पिऊ-पिऊ आवाज श्रावण की मास विरह -वेदना की। असह्य आग तू कर सरस विरह की वेदना कर सरस। पावस की कण तू बरस बरस। प्रिया की भीगी कपोलो बिंदी सी बून्दो की चमक। भीगी गात-अपलक नयन विरह की वेदना में मगन। प्रिया कर रही- अपनी प्रियतम की मिलन की जतन। परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला - पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...
अरे राम, अरे राम राम !!
कविता

अरे राम, अरे राम राम !!

डॉ. कामता नाथ सिंह बेवल, रायबरेली ******************** मुसकानों के ऐसे काम ! अरे राम, अरे राम राम !! मौसम की हृष्ट-पुष्ट बांँहों की अंँगडा़ई, बूंद-बूंद यौवन में मादकता सरसाई; टेर पपीहे की अविराम! अरे राम! अरे राम राम !! नदियों के कूल- कछारों में, तटबन्धों में, गदराई पुरवा के बदराये छन्दों में व्याकुल अभिसारी आयाम ! अरे राम ! अरे राम राम !! कलियों की मदिर चाह करे नये-नये यत्न, गलियों में गूंज रहे भंँवरों के यक्षप्रश्न; प्रणय-पत्रिकाओं के नाम ! अरे राम ! अरे राम राम !! परिचय :- डॉ. कामता नाथ सिंह पिता : स्व. दुर्गा बख़्श सिंह निवासी : बेवल, रायबरेली घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविता...
समाधान…
कविता

समाधान…

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** वक्त है, यह कभी रुकता नहीं है, सच है, यह कभी झुकता नहीं है, साहस है, यह कभी टूटता नहीं है, जिगर जिनके पास है, किस्मत उनका कभी रूठता नहीं है... ईमान है, यह बिकती नहीं है, नीयत खराब, दिखती नहीं है, आशा की किरण, कभी बुझती नहीं है, इज्जत की रोटी, इससे बड़ी संतुष्टि नहीं है... फिर भी कुछ सवाल बड़े हैं, चुनौतियां सामने मुंह बाए खड़े हैं, अच्छे लोगों के साथ, अक्सर बुरा क्यों होता है, बुरे लोगों का साम्राज्य, इतना बड़ा क्यों होता है, जवाब इसका बहुत कठिन नहीं है, बदलाव अगर खुद से शुरू हो, कौन सी ऐसी समस्या है, जिसका समाधान मुमकिन नहीं है... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्र...
गले मिल जाये
कविता

गले मिल जाये

शरद सिंह "शरद" लखनऊ ******************** उत्तुग श्रंग पर बैठ अपने परो को तोलती, उड़ चली गगन मे वह, मस्त मगन डोलती, न जाने कब तक उडे़गी, वह गगन के वक्ष पर काल कवलित बन गिरे, कब गगन से अवनि पर। कब बढे़गा हाथ उसका कब धूल मे मिल जायेगे कौन जाने कब यहाँ से, रुख्सत हम हो जायेगे आज 'मै' मै बनूँ क्यो, क्यो न हम हो जाये सब, कुछ समय की जिन्दगानी, क्यो एक न हो जाये सब, क्यो मजहब मे रमते रहे क्यो धर्म को कोसे सदा, चार दिन की जिन्दगी है सबको जाना इक जगह। यह भी मेरा वह भी मेरा और किसी को क्यो गने, सोच न हो संकीर्ण इतनी भूमि दो गज ही मिले। तू जले या दफन हो जाना तुझे उस लोक ही, अपने कर्मों का ब्योरा, देना है एक साथ ही, फिर क्यो मन मलिन रखे, क्यों ईष्र्या द्वैश रखे दिल मे, झगडे़ भी हो क्रोधित भी हो, पर गले मिल जाये एक पल मे गले मिल जाये ...... परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह...
जब आता है श्राद्ध
कविता

जब आता है श्राद्ध

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** जब आता है श्राद्ध, तभी दिखते है श्रद्धा भाव। जीते जी खिलाया नही, अब कहते हो खाओ। ढूंढ़न से मिलते नही, करते कौए कांव कांव। मिलते भी है एक दो, तो सुनते नही बुलाव। समझो उनके अंदर है, उन पूर्वजो का ठांव। वो देख आज पछता रहे, जो दिए आपने घाव। चाहते थे वो आपसे, केवल श्रद्धा और भाव। रखो हमेशा पास उन्हें, तुम रहो शहर या गांव। घर का मुखिया था कभी, उनका सबसे लगाव। वो घर मे दबके रहा, पड़ना था जिनका दबाव। अब तुम मेरे हिस्से का, कौओं को ना खिलाओ। खुदको समझो कौआ, और खुद बैठे बैठे खाओ। करो ना बातें बड़ी बड़ी, मत झूठा प्यार दिखाओ। जो रहते बृद्धाश्रम में, अब उनको भोज कराओ। पछतावा करने में अब, समय ना और गंवाओ। कहीं दान तो कहीं कहीं पर, हरा वृक्ष लगाओ। समय के रहते तुम करो, पितरों का रख रखाव। आशीर्वाद स्वरूप तुम्हें वो दे जाए चन्द्रमा छांव। तर्पण श्र...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

मनीषा जोशी खोपोली (महाराष्ट्र) ******************** ईश्वर का प्रतिरूप हैं शिक्षक। श्रद्धा रूप अनूप है शिक्षक। संघर्ष से लड़ना सिखाते शिक्षक। राहों को सरल बनाते शिक्षक। हर अँधेरे में रोशनी दिखाते शिक्षक। कभी प्यार से, कभी डांट से हमको ज्ञान देते शिक्षक। हर पल बच्चो का भविष्य बनाते शिक्षक। जीवन के हर पथ पर सही गलत की राह दिखाते शिक्षक। जीवन जीने का पाठ पढ़ाते हैं शिक्षक। बच्चो के भाग्य बनाते है शिक्षक। परिचय : मनीषा जोशी निवासी : खोपोली (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप ...
शिक्षक दिवस
कविता

शिक्षक दिवस

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** शिक्षक को याद करने का दिन, शिक्षा किसी को न मिलै शिक्षक बिन। शिक्षक का सभी करो सम्मान, बिन शिक्षक मिले नहीं ग्यान। इस बात का रखो तुम ध्यान, शिक्षक का तुम सदैव करो सम्मान। शिक्षक ढूंढन मैं चला शिक्षक मिला न कोय, जो जीवन का सही मार्ग-दर्शन करे वही सच्चा शिक्षक होय। गुरू कुम्हार शिष्य कुम्भ है गढ़ी-गढ़ी काढै खोट, अन्दर हाथ सहार दे बाहर बाजै चोट। गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपनौ गोविन्द दियो बतलाय। पांच सितम्बर अर्थात शिक्षक दिवस भैया साल एक बार ही आय, शिक्षक को सम्मान देकर शिक्षक दिवस प्रतिवर्ष लेव खुशी-खुशी मनाय। वीरेन्द्र यादव जी शिक्षक दिवस पर कविता दियो बनाय, उनहु को थोड़ा-सा आपन आशीर्वाद दैईदेव बहन और भाय। आधुनिक क्लास में शिष्टाचार का लेशन जोड़ देव मास्टर जी, बच्चे जिससे आपने से बड़ो से बात...
गुरुवर के चरणों की छाँव
कविता

गुरुवर के चरणों की छाँव

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** बुद्धि, विवेक और भाषा ज्ञान की सबकुछ हमें सिखाया है, मंजिल की सीढ़ी चढ़ने का एक मुक्ति-मार्ग दिखलाया है, शिक्षा की उस वट-वृक्ष की, मजबूत शाखा और डाली है, हे गुरुवर आपके चरणों की वो छाव कितनी निराली है।। दिए हुए उस ज्ञान की दीपक, हरपल तन-मन मे जलते हैं, गुरुजनों का ज्ञान पाकर ही, इस जग में आगे बढ़ते है। कर संघर्ष जीवन मे, अपने सदा ही अच्छा करते हैं, और जो न तरे सौ तीर्थ से, वो गुरु के ज्ञान से तरते है। मानव के तन में शब्दों की शक्ति गुरु ने ही तो डाली है, हे गुरुवर आपके चरणों की वो छाव कितनी निराली है।। बिना गुरु कृपा के जग में कितने शिष्य अधूरे है, हुवे ज्ञानी सदा वही, जो गुरु आदेश से जुड़े हैं। गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु, गुरु ही रूप करुणे है, कुछ काम जीवन मे पूरे हैं, कुछ गुरु बिना ही अधूरे है, गुरू की ज्ञान सूरज की रौशनी और किर...
गुरू कृपा
आलेख

गुरू कृपा

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** सब मंचन्ह ते मंचू एक, सुंदर बिसद विशाल। मुनि समेत दोउ बंधु तँह बैठारे महिपाल।। श्रीरामचरितमानस       सब मंचों से एक मंच अधिक सुंदर, उज्जवल और विशाल था। स्वयं राजा ने मुनि सहित दोनों भाइयों को उस पर बैठाया। प्रसंग है कि श्री राम लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ सीता स्वयंवर देखने जनकपुर पधारें ।यज्ञशाला में दूर-दूर के देशों के बड़े प्रतापी एवं तेजस्वी राजा पधारे थे। राजा जनक जी ने अपने सेवकों को बुलाकर आदेश दिया कि तुम लोग सब राजाओं को यथा योग्य स्थान पर बिठाओंं और सेवकों ने जाकर सभी राजाओं को यथा योग्य स्थान पर बिठाया। वही जब अपने गुरू श्री विश्वामित्र जी के साथ दो नवयुवक राजकुमार राम और लक्ष्मण पधारें तो उठकर राजा जनक स्वयं गए एवं उन्हें सबसे सुंदर, उज्जवल और विशाल मंच पर उत्तम आसन पर बैठाया, जबकि उस सभा में कई प्रतापी श...
अनमोल तोहफा
लघुकथा

अनमोल तोहफा

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** ५ सितंबर यानि शिक्षक दिवस आज पूरा दिन स्कूल में बच्चों की शुभकामनाएं और ढेर सारी टाफीया उपहार गुल्दस्ते ग्रिटींग कार्ड। इसके अलावा शाला प्रबंधन की ओर से विषेश कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें उत्कृष्ट शिक्षा नवाचार के लिए सुषमा को विषेश पुरस्कार प्रदान किया गया। सुषमा जब घर लौटी तो उसके बैग बच्चों द्वारा दिये गये उपहार से भरे हुए थे और हाथ में शाला प्रबंधन की ओर से दिया गया स्मृति चिन्ह ।घर पहुँच कर सुषमा पूरी तरह थक कर चूर हो चुकी थी। पीछे से आवाज आई मैडम जी...मैडम जी... सुषमा निन्नी को देख कर अतीत में खो गयी। उसके लिए ये जगह नयी थी अभी अभी उसने शिक्षाकर्मी वर्ग एक के लिए पोस्टिंग कोंडागाँव में हुआ था । घर के सामने सड़क के उस पार झोंपड़ी नजर आती थी। स्कूल जाते समय रास्ते में निन्नी दिख जाया करती थी उसकी उम्र कोई आठ ...
कोरोना काल और शिक्षक
कविता

कोरोना काल और शिक्षक

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** कोरोना काल में घर में बंद होकर। सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए।। कोरोना काल में घर में बंद होकर। सड़कों पर भटकते मजदूर, गरीब होने की सजा पा रहे थे। जिंदगी के अच्छे दिन आएंगे। यह स्लोगन भी याद आ रहे थे। कोरोना ने कर दिया..क्या हाल। टीवी देख कर आंख में, कुछ के आंसू भी आ रहे थे। विडंबना देखिए ..... हालात और शिक्षण नीतियों के मारे। शिक्षक किस हाल में है। ना किसी को प्राइवेट, और ना सरकारी शिक्षक याद आ रहे थे। जो इस महामारी में, समस्त विषमता से परे। दुनिया को कोरोना क्या शिक्षा दे रहा है। इस बात से अनभिज्ञ, ऑनलाइन पाठ पुस्तकों के चित्र घूमा रहे थे। बस ऑनलाइन सिस्टम की, कठपुतलियां बन के, बच्चों को नोट- पाठ्यक्रम पहुंचा रहे थे। जिंदगी की सच्चाई से ना खुद शिक्षित हुए। ना इसका मूल्य समझा पा रहे थे। कोरोना जिंदगी को, जिस हाशिए पर ख...
मेरा जीवन ऋणी है जिनका
कविता

मेरा जीवन ऋणी है जिनका

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** मेरा जीवन ऋणी है जिनका, जो खुद ईश्वर कहलाते है। हम चाहे उन्हें भूल भी जाएं, वो हमें कभी ना भुलाते है। बचपन मे जो उंगली पकड़, हमको चलना सिखाते है। क्या है सही गलत जीवन मे, यह सब हमको बताते है। दया धर्म और संस्कार का, वो हमको पाठ पढ़ाते है। रूठे अगर कभी जो हमतो, वो हमको आके मनाते है। हर इच्छा हर ज़िद को जब, हम उनको जाके बताते है। अपनी इच्छा मारके वो तो, हमको खुश कर जाते है। ऐसी मां और पिता को क्यों, हम पास नही रख पाते है। जन्मों जन्मों तक हम उनका, ये ऋण चुका ना पाते है। ऐसे मात पिता को हम तो, प्रतिदिन शीश झुकाते है। वही हमारे सच्चे शिक्षक, जो हमको ज्ञान दिलाते है। परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्...
शिक्षकों का योगदान
कविता

शिक्षकों का योगदान

संजय जैन मुंबई ******************** हूँ जो कुछ भी आज मैं, श्रेय में देता हूँ उन शिक्षकों। जिन्होंने हमें पढ़ाया लिखाया, और यहां तक पहुंचाया। भूल सकता नहीं जीवन भर, मैं उनके योगदानों को। इसलिए सदा में उनकी, चरण वंदना करता हूँ ।। माता पिता ने पैदा किया। पर दिया गुरु ने ज्ञान। तब जाकर में बना लेखक, और एक कुशल प्रबंधक। श्रेय में देता हूँ इन सबका, अपने उनको शिक्षकों। जिनकी मेहनत और ज्ञान से, बन गया पढ़ा लिखा इंसान।। रहे अँधेरा भले उनके जीवन में। पर रोशनी अपने शिष्यों को दिखाते है। जिस से कोई बन जाता कलेक्टर, तो कोई वैज्ञानिक कहलाता है।। सुनकर उन शिक्षकों को, तब गर्व बहुत ही होता है। मैं कैसे भूल जाऊं उनको, जिन्होंने हमें योग बनाया है। देकर ज्ञान की शिक्षा, हमें यहाँ तक पहुंचाया है।। शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं उन सभी शिक्षकों के चरणों मे वंदन करता हूँ। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के न...