बना के ग़ज़ल तुझको
दीपक्रांति पांडेय
(रीवा मध्य प्रदेश)
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इक बना के ग़ज़ल तुझको हम गाएंगे।
छोंड़ करके शहर तेरा हम जाएंगे।।
कर ले दो चार प्यारी मधुर कोई बात।
फिर ना आऐगी ऐसी सुहानी सी रात।।
दूर रह के भी नज़दीक हम पाएंगे।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे।।
प्यार मे यूँ बिछड़ना ज़रूरी भी है।
दूर रह के महकना ज़रूरी भी है।।
लाख कर ले तू कोशिश हम याद आएंगे।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे।।
यह परीक्षा तुम्हारी हमारी भी है।
कितनी मीठी मधुर अपनी यारी भी है।।
वादा है तेरी महफ़िल मे हम छाएंगे।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे।।
कुछ यूं हीं दूर रहकर भी जीते हैं हम।
यह जहर भी जुदाई का पीते हैं हम।।
सब्र कर मिलने के दिन, भी हम लाएंगे।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे।।
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परिचय :- दीपक्रांति पांडेय
निवासी : रीवा मध्य प्रदेश
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