मानवीयता
माधवी तारे
लंदन
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कई साल से विदेश में मरीजों की सेवा करने वाले प्रख्यात चिकित्सक अपने अस्पताल की ड्यूटी खत्म होने के बाद अपनी क्लिनिक में आकर बैठे। वहाँ भी मरीजों की कतार लगी थी। एक-एक मरीज लाइन से आकर अपने समस्या बताकर दवाई की पर्ची ले जा रहा था। अभी लाइन खत्म ही नहीं हुई थी कि एक वृद्ध महिला के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। उसके पैर में गहरा जख्म था, वेदना असह्य हो रही थी। वह बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी उसके साथ उसकी बेटी थी, चिल्लाने की आवाज सुनकर डॉक्टर अपनी सीट छोड़कर बाहर आए और पूछा – “क्या हुआ बेटा” ?
परिस्थिति की गंभीरता देखकर डॉक्टर ने लोगों से उस महिला को टेबल पर लिटाने को कहा, बाकी मरीजों को छोड़कर डॉक्टर उस महिला के जख्म का इलाज करने लगे। फिर डॉक्टर दूसरे मरीजों को देखने चले गए और उस महिला को और क्लिनिक के पलंग पर लेटे रहने दिया, महिला की स्थिति को देख...