जान जरूरी-जहान भी जरूरी
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
********************
मानव रूप में जनमे युग के विशाल योग से
कर्मों कीआहुति मरने कोरोना अकाल रोग से
दिल दौलत दुनिया का तालमेल जरूरी है
ये जान बड़ी जरूरी, सुन्दर जहान जरूरी है।
धरा पर संवादी मौसम हमें आगाज़ कराता
कई ढंगों से जीवन-यापन आभास कराता
आन जरूरी है, दिल का अरमान जरूरी है
ये जान बड़ी जरूरी, सुंदर जहान जरूरी है।
अनजाने स्वभाववश, कभी मार्ग दिखलाता
किसी मोड़ पे संयोगवश घटना याद दिलाता
दान जरूरी है, सेवा अवदान बहुत जरुरी है
ये जान बड़ी जरूरी, सुंदर जहान जरूरी है।
कर्म भाग्य चाल से शीर्ष स्थान मिल जाता
राष्ट्रप्रेम हितैषी जग में महामानव कहलाता
उसका मान जरूरी है यथा सम्मान जरूरी है
ये जान बड़ी जरूरी, सुंदर जहान जरूरी है।
साहित्यकार इस जगत में, कई रंगों को झेले
सूरज चांद गगन धरा, राष्ट्रीय कलम से खेले
राष्ट्रगान जरूरी है, उसका गुणगान जरूरी है।
ये जान बड़ी जरूरी, सुं...