मुझे छूने की गुस्ताखी में
चेतना ठाकुर
चंपारण (बिहार)
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मुझे छूने की गुस्ताखी में
तुझे क्या सजा दूँ ?
थाने में रपट लिखा दूँ,
या पंडित बुला तुझे
उम्र कैद की सजा दूँ ?
मेरी जज्बातों को
बहकाने के जुर्म में,
तुझे क्या सजा दूँ ?
तेरी सबसे प्यारी चीज
तुमसे छीन लू,
या तुझे अपना बना लू ?
मेरी आंखों के सपनों को
चलचित्र जैसे दिखाने की।
क्या सजा दूँ ?
झूठी रिवाजों से पर्दा उठा दूँ
तू कहे तो तेरे संग,
एक नायाब रिश्ता बना लू ?
मुझे छूने की गुस्ताखी में तुझे
क्या सजा दूं ?
तुझे से बहुत दूर चली जाऊं,
या तुझे गले से लगा लूं ?
मेरे हृदय में जगह बनाने,
तड़पाने की क्या सजा दूँ ?
तुझे कह दो अलविदा,
या तुझसे लिपट तुझे
आधा अंग बनाना लू ?
मुझे छूने की गुस्ताखी में,
तुझे क्या सानू सजा दूं ?
थाने में रपट लिखा दूँ,
या पंडित बोला तुझे,
उम्र कैद की सजा दूँ .....?
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परिचय :- चेतना ठाकुर
ग्राम - गंगापीपर
जिला -पू...