क़ुर्बान रहा आया
आशीष तिवारी "निर्मल"
रीवा मध्यप्रदेश
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दोस्त ही दुश्मन निकला, मैं अंजान रहा आया
वो फरेबी खुदा हो गया, मैं इंसान रहा आया!
कलयुगी तहजीबी बयारों से होकर बेपरवा
मैं तो केवल मिशाल-ए-ईमान रहा आया!
शिकायत उसकी करता भी तो क्या करता
वह तो अपनेपन से भी बेजान रहा आया!
निभा ना सको रफ़ाक़त तो दिखावा कैसा
मेरे दिल में सवाल ये बड़ा नादान रहा आया!
हर घड़ी करता ही रहा जो सबसे मेरी बुराई,
पत्थर दिल के लिए निर्मल क़ुर्बान रहा आया!
परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष त...





















