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कविता

मेरी मां
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मेरी मां

********** उज्जवल मिश्र मुजफ्फरपुर बिहार उठता हूं ७:०० बजे मैं तुम ५:०० बजे जग जाती हो मेरी मां बचपन से आज तक मैं देख रहा हूं तुमको मां कितनी सुंदर कितनी प्यारी लगती हो तुम मेरी मां उठता हूं ७:०० बजे मैं तुम ५:०० बजे जग जाती मेरी मां सूरज को उगने से पहले चिड़िया को चहकने से पहले उठ जाती है मेरी मां करती योगा रोज सवेरे पूजा पाठ करती हर रोज नाश्ता में कभी आलू पराठे और चटनी बनाती हो तो कभी बनाती पूरी हलवा भुजिया भी बनाती हो सूरज को उगने से पहले चिड़िया को चहकने से पहले उठ जाती है मेरी मां कितनी सुंदर कितनी प्यारी लगती हो तुम मेरी मां समय से उठना समय से सोना यह बात बतलाती मेरी मां स्वस्थ रहोगे जीवन भर जो तुम अपनाएं मेरी बात सूरज को उगने से पहले चिड़िया को चहकने से पहले उठ जाती है मेरी मां मैं भी उठूंगा ५:०० बजे यह वादा करता हूं मेरी मां योगा करेंगे प्रतिदिन हम मंदिर साथ में जाएंगे आज से बदल...
मां तू जग में महान
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मां तू जग में महान

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** मां अम्बे तू गौरी, तेरे ही रूप अनेक, तू तीनों लोको में प्रसिद्ध , सबकी इक्शा पूर्ण करने वाली, नव नामों से तू पुकारी जाती, प्रथम तू शील तपस्या से परिपूर्ण, शैलपुत्री से जानी जाती, दूसरी ब्रहा जी की स्वरूप प्राप्त, ब्रह्मचारिणी से प्रसिद्ध हुई, तीसरी तू चन्द्र घंटा में स्थित, चंद्रघंटा से चरीचार्थ हुई, संसार जिनके उदर में स्थित हो, उस देवी के चौथे रूप कूष्माण्डा से जानी जाती, मां शक्ति से उत्पन्न , सनतकुमर के नाम से, पाचवी रूप को स्कंदमाता से प्रसिद्ध हुई, महर्षि कात्यायन के आश्रम से प्रकट हुई, मां के छठे रूप को कात्यायनी कहते है, सब दुष्टों को संहार करने वाली काल के रात्रि, मां के सातवें रूप को कालरात्रि कहते है, महान गौरवपूर्ण तपस्या द्वारा प्राप्त, मां के आठवीं रूप को महागौरी कहते है, तीनों लोको में सबको मोक्ष प्रदान करने वाली, मां के ...
आसमां हम हुए
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आसमां हम हुए

********** शिवम यादव ''आशा'' (कानपुर) आसमां हम हुए तुम सितारे हुए हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए गमों को लिए घूमते हम रहे प्यार को हम तेरे थे सम्हाले हुए चाँद हम बन गए चाँदनी तुम हुए आसमाँ हम हुए तुम सितारे हुए हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए जिंदगी के तेरे हम सहारे हुए पथिक तुम हुए राही हम बन गए उजङे उपवन मेरे की तुम कलियाँ बनें घोर घनघोर बादल जब हम बनें तुम मेरे प्रेम की ही तो बारिश बनें आज बारिश यहाँ गुनगुनाने लगी बाद सदियों तेरी याद आने लगी आसमाँ हम हुए तुम सितारे हुए हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए . लेखक परिचय :-  नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी ...
लोग कर रहे ऐसे काम
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लोग कर रहे ऐसे काम

********** सुभाष बालकृष्ण सप्रे भोपाल म.प्र. "आज़ कुछ लोग कर रहे ,ऐसे काम, हो रहा है जहाँ मेँ,देश मेरा बदनाम, खबरचियोँ की,ज़ब गल न रही,दाल, चीख चीख कर गला हो रहा है जाम, हालत-ए-मुल्क पर त्रास उन्हे न कोई , निकाल रहे वो सिर्फ राजनैतिक भडास, निस्पक्ष पत्रकारिता तो है एक मुखोटा,, पालते मन मेँ हैँ,वो मलाई की आस, दिन हवा हुये ज़ब,सफर,हवाई होता था, हुक्म्ररानोँ के साथ,लवाज़मा भी होता था, यात्रा कितनी होती,देश हित मेँ,नहीँ पता, गरीबी की आड मेँ,जश्न अमीरी का होता था.”   लेखक परिचय :-  नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाश...
बेटियाँ
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बेटियाँ

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार बेटियाँ घर की रौनक है बेटियाँ घर की शान है                जिस घर में बेटी नही वो घर बहुत सुनसान है।                 फूलों की खुशबू है सँझा का दीपक है                  जिनके घर में बेटी है वो पिता बहुत महान हैं।                   बेटी दो कुल की जननी बेटी माँ की परछाई                    जब घर की बेटी करे पढ़ाई वो घर जग में नाम कमाए।                      बेटी को पढ़ा लिखा कर देश का करो कल्याण                     बेटी पढ़े तो मिल जाये माता पिता सबको सम्मान। . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हि...
शिक्षक
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शिक्षक

********** प्रेक्षा दुबे उज्जैन ( म. प्र.) ज्ञान गंग की धार बहा जो, चित्त शिष्य का शुद्ध करे। स्वप्न भवन निर्माण सिखा जो, अटल भविष्य की नींव बने। जो भेदभाव के अन्धकार में, बन शिक्षा का दीप जले। शिक्षक है वो महाकोष जो, ज्ञान निधि बन अमर रहे। लेखिका का परिचय :- प्रेक्षा दुबे निवासी - उज्जैन ( म. प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा...
दो लालो का जन्म
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दो लालो का जन्म

********** संजय जैन मुंबई २ अक्टूबर का दिन, कितना महान है। क्योकि जन्मे इस दिन दो भारत मां के लाल है।। सोच अलग थी दोनों की, पर थे समर्पित भारत के लिए। इसलिए दिनों को हम लोग याद करते है। और दोनों के प्रति, श्रध्दा सुमन अर्पित करते है। और उन्हें दिल से आज याद करते है।। सत्य अहिंसा के बल पर हमे दिलाई आज़दी। और सत्यग्रह करके मजबूर कर दिया अंग्रेजो को। और उन्हें छोड़ना पड़ा भारत देश को। और मिल गई हमे आज़दी सत्य अहिंसा के पथ पर चलकर।। याद करो उन छोटे कद वाले इंसान को। जो सोच बहुत बड़ी रखते थे। और हर कार्य भारत के हित मे करते थे। तभी तो उन्होंने नारा दिया था, जय जवान जय किसान। ये ही है भारत की आन मान और शान।। दोनों के प्रति आदर भाव रखते हुए। हम उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित करते है। और भारत माँ को प्रणाम करते है। कि ऐसे लालो को आपने जन्म दिया हिंदुस्तान में।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्र...
“माँ – बाप” के चरणों की खुशी
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“माँ – बाप” के चरणों की खुशी

********** विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) जिस तरह ये रोज - रोज सारी कलियां खिलती है, बहुत खुशी माँ-बाप के चरणों मे मुझे मिलती हैं। ईश्वर से भी बढ़कर करता इन दोनों का सेवा मैं, तभी तो रोज पाता हूँ आशीर्वाद का मेवा मैं। हम बच्चों के खातिर देखो ,कितने दुःख उठाये है, कदर उनकी सदा ,जो इस दुनिया को दिखाये है। मानो मेरी बात सभी तुम हाथ जोड़कर विनती है बहुत खुशी माँ-बाप के चरणों मे मुझको मिलती हैं। तुम सोचो माँ-बाप ने तुमसे, कितना आस लगाया है, हाथ पकड़कर चलना जिसने, इस जग में सिखाया है। पूछ लेना उनलोगों से जिन्होंने ठोकर खाया है, माँ-बाप को छोड़ कोई, दूजा काम न आया है। मानो मेरी बात सभी तुम हाथ जोड़कर विनती है बहुत खुशी माँ-बाप के चरणों मे मुझको मिलती हैं। सुन मुसाफिर तू कही जो इनका दिल दुःखायेगा, भटकेगा इस जग में और दर-दर ठोकर खायेगा। ये फरेबी दुनिया जिस दिन, तुमको खूद बदनाम करेगी, माँ-बाप क...
चाय गरम
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चाय गरम

********* विवेक सावरीकर मृदुल (कानपुर) चाहे कोई मरे चाहे भाड़ ही में जाए हमको तो मिले बस गरमागरम चाय चुस्कियां भरें और बांचे अखबार दोसौ मरे, दो घायल, चार बलात्कार खुद के बचे रहने का जश्न हम मनाए।। हादसों को देखे सिर्फ बन तमाशबीन इमदाद की बात पर हो जाएं उदासीन फोकट में कौन साल्ला थाने कोर्ट जाए! हमदर्दी के चंद जुमले दोहराये वायदों के लॉलीपॉप जन को थमाए पांच साल के लिए फिर सबको भूल जाए चाय गरम चाय, गरमागरम चाय।। . लेखक परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल जन्म :१९६५ (कानपुर) शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये, उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप ...
बापू जी
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बापू जी

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार बापू जी कैसे समान करूं मैं तेरी उन सीखों का, मुल्क तो कर्जदार है अब भी भगत सिंह के चिखो का। जवान लाशों के सौदागर थे तब भी सियासतदान, बेईमानों ने बेईमानी की कब बदला हिंदुस्तान। जहरीली सियासत में देखो बांग्लादेश और पाकिस्तान, बेटे आज दुश्मन हो गए, जो थे ज़िगर ए हिंदुस्तान। आजाद भारत का पहला आतंकी कौन था, अहिंसा प्रेमी बापू का कातिल था वो, गोडेस उसका नाम। मुल्क के ज़र्रे ज़र्रे में वीरों ने प्राण गंवाए, ज़िक्र उसका ही हो,ता जो थे बेरिस्टर सियासतदान। आज के दौर में चंद नाम ही दिखते हैं शाहरुख़, तगमे के हकदार थे जो, वो ही दिखते हैं गुमनाम। .लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
यही है मेरी राय…
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यही है मेरी राय…

********** दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। जब कोई ना मांगे आपसे, तो राय कभी मत दे देना। बिना वजह तुम लोगो से कोई दुश्मनी मत ले लेना। इधर उधर तब देखना जब कोई तुम्हे बताये- दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। वैसे तो इस दुनिया मे कोई किसी को नही पूछता। सबको बुराइयों के अलावा कोई काम नही सूझता। सही कहने वाले को ही, सारे गलत बताये- दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। में तो बस जानू इतना कि रखो खुदी का ध्यान। जब तक कोई ना मांगे मत देना तुम कोई ज्ञान। बेवजह गाली खाने की नौबत ना आ जाये- दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। पड़ोसी का हो झगड़ा और दोस्तो का ह...
बापू तेरे तीन बंदर
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बापू तेरे तीन बंदर

********** विनोद सिंह गुर्जर महू (इंदौर) बापू तेरे तीन बंदर। पड़े कैद में देखो अंदर।।... बुरा मत बोलो बुरा बोलने वाले आगे, सत्य बोलने वाले भागे। गुरूओं का अपमान हो रहा, चेलो के अब भाग्य जागे। मतलब में सब तैर रहे हैं। बिन हाथों के पैर रहे हैं । बुरा मत देखो बुरा देखना ही पड़ता है। अच्छा घूरे पर सड़ता है।। एक तरफ मानवता रोती, छप्पन भोग श्याम चड़ता है। पत्थर से आशाऐं जोड़ी। लालच की चूनर ओढ़ी।। बुरा मत सुनो बड़ा मजा है, निंदा करना । अपनों को शर्मिदा करना।। गंगा को मैली बतलाकर, दाग दिखाकर चंदा करना।। अच्छा है तू आज नहीं है। बेशर्मों को लाज नहीं है।। राम वेश में रावण यहां पर। लक्ष्मण नजरें सीता मां पर।। पैसे के सब आज पुजारी। दया भाव ना, बस गद्दारी।। गांधी जी शत नमन तुम्हें है। सत्य हिंद से दमन तुम्हें है।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा मे...
बापू का भारत
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बापू का भारत

********* सुश्री हेमलता शर्मा इंदौर म.प्र. जहां मंदिरों में पढी जाती है कुरान, जहां हिल-मिल रहते है हिन्दु-मुसलमान, गाई जाती है आरतियां मस्जिदों में, देश हित के लिए सभी होते हैं कुर्बान, उस देश का नाम है हिन्दुस्तान।। वैसे तो हिन्दुस्तान में, है बहुत विभिन्नता, जहां वास करते हैं छत्तीस करोड देवता, कई तरह के धर्म, भाषा,लोग हैं देश में, नारा है जिस देश का, अनेकता में एकता, यही है विशेषता कि दृष्टि रखें समान, उस देश का नाम है हिन्दुस्तान।। मिटाया अस्वच्छता का कलंक, स्वच्छता का बापू का सपना, साकार जगत में हमने किया, आओ हम गांधी-सुभाष बन जाये, और विवेकानंद बनकर, जगत में छाये, जिस देश में बापू का सबसे उंचा स्थान, उस देश का नाम है हिन्दुस्तान।।   लेखिका परिचय :-  सुश्री हेमलता शर्मा निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश जन्म तिथि : १९ दिसम्बर १९७७ जन्मस्थान आगर-मालवा शिक्षा : स्नातकोत्तर, पी.ए...
सोचा न था …
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सोचा न था …

********** मित्रा शर्मा महू - इंदौर सोचा न था ... सोचा न था कभी बदल जाओगे फूल की जगह कांटे बन जाओगे। आहत है यह दिल मिले तुम्हे अपनी मंजिल। आंसुओं के समंदर में गोता लगाती यह जिंदगी मुबारक हो तुम्हे मिल गई है तसल्ली। वक्त है हमेशा की तरह अपनी रफ्तार में चलता है दिन और रात का चक्र चलता ही रहता है। रात ढलेगा तब सवेरा आएगा आएगा कल सवेरा आएगा प्यासे के पास समंदर भी आएगा राहगीर को राह भी मिल जाएगा। रोक न पाएगा कोई अनवरत बढ़ता जाएगा बढ़ता ही जाएगा , सब पीछे छोड़ता जाएगा .... परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (...
काश …
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काश …

********** रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. काश ... कि तुम समझ पाते मेरे मजबूर दिल के हालात काश ... की तुम देख सकते वो लहरों के तुफानो को कि वो भावनाओ को किस तरह, विचलित करते जा रहे काश ... कि तुम महसूस कर सकते मेरे इश्क़ की गहराइयों को जिसकी कोई सीमा नहीं काश ... कि तुम डूब सकते उस प्यार के दरिया में जो वक़्त के साथ साथ बढ़ते ही जा रहा, और बहते ही जा रहा काश ... कि ये काश ही न होता, बल्कि होती एक खूबसूरत सी हकीकत और होते सिर्फ 'हम' लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
नदी बहती नहीं, है कुछ कहती
कविता

नदी बहती नहीं, है कुछ कहती

********** श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) नदी बहती नहीं, है कुछ कहती शब्द बोलते नहीं, है आपका दिमाग तौलते बिल्ली रास्ता काट, काटती है आपका अपशकुन। मुसीबत है आती अकेली नहीं, सफलता का मार्ग लाती है साथ अपने। मुहावरे का मतलब, नहीं मुंह आवारा वह तो गागर में है सागर सारा। कहावत नहीं है कोई शिकायत, वह तो है जन की हिफाजत । एक चना भाड़ फोड़ता नहीं, चिंगारी की आग का नहीं मोल। दोस्त,दुश्मन से बड़ा होता है, हर काम में आगे खड़ा होता। अपनी लकीर बढ़ी है करना, प्रगति के पथ पर है चलना। प्रकृति के अनुशासन को स्वीकार करे वसुधैव कुटुंबकम् को अंगीकार करे स्वालंबन ही है जीवन, निज पथ में कुछ करें समर्पण .... . लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन मे...
छोड़ दिया है
कविता

छोड़ दिया है

********** बाबा बुद्धेश्वर शुक्ल गोपालगंज (बिहार) दर्द सीने का पैसों से दबा कर छोड़ दिया है, मशीन आदमी को बना कर छोड़ दिया है। चमक है पर महक नहीं बनावट के इस कलाकारी में, नये घर में नई झालर सजा के छोड़ दिया है। चुनावी पान भी गजब का लाल कर जाती है, अभी जनता को बस चुना लगा कर छोड़ दिया है। तलब लगा जो भवँरा को बगीचा घूम कर आया, जरूरत के थे रिश्ते सभी निभाकर छोड़ दिया है। अब तो रिश्वत का ही है बोलबाला इस दुनिया में, मंदिर में भगवान को भी पैसा चढ़ाकर छोड़ दिया है। दर्द सीने का पैसों से दबा कर छोड़ दिया है, मशीन आदमी को बना कर छोड़ दिया है। लेखक परिचय :-  नाम :- बाबा बुद्धेश्वर शुक्ल संप्रति :- लेखन में रुचि है, समाज के लिए एक ऊर्जावान लेखक है। निवासी :- नरहवाँ शुक्ल - गोपालगंज (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...
बापू मेरे
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बापू मेरे

********** शिवम यादव ''आशा'' (कानपुर) राष्ट्र पिता थे बापू मेरे राष्ट्र धर्म सिखलाया सत्य अहिंसा के पथ पर चलना भी सिखलाया शान्ति और स्वाभिमान से जीवन जीने की राह दिखाई ऐसे थे महान पुरुष मेरे बापू तब जाकर उन्होंने राष्ट्र पिता की उपाधि पाई . लेखक परिचय :-  नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन" आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु...
बापू का सपना
कविता

बापू का सपना

********** मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. आओ मिलकर करें संकल्प, राम राज्य फिर लायेगें, बापू के जो स्वपन अधूरे हम साकार बनायेगें। गाँव बनें सब राज दुलारे, चमकें जैसे नभ के तारे, लड़े न झगड़े आपस मे हम, भेद भाव सब ढा़येगें। छुआ छूत न भेद भाव हो, जनमन के मन प्रेम भाव हो, स्नेह सने आपस में दिखें मिल सद भाव जगायेंगे। बापू के जो स्वपन अधूरे, हम साकार बनायेगें। राम राज्य का पावन मेला भर जाये घर घर यह मेला, सुख संपन्न रहे जन जीवन, ऐसे जतन जुटायेगें। सत्य अहिंसा दिन दूनी हों फूले फले नहीं जूनी हो, ये सब तो सिद्धांत अमर हैं, जग को पाठ पढ़ायेंगे। बापू के जो स्वपन अघूरे, हम साकार बनायेगें। प्रातः भजन राम और सीता, संध्या में रामायण गीता, रघुपति राघव राम भजन से, मोक्ष धाम पा जायेगें, बापू के जो स्वपन अधूरें हम साकार बनायेगें। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौ...
मां बाप “अभिशाप या वरदान”
कविता

मां बाप “अभिशाप या वरदान”

********** हरिनंदन यादव गोपालगंज जन्म देकर जिसने हमें इस दुनियां को दिखाया । बोलना, चलना,पढ़ना और लिखना जो हमें सिखाया ।। उनके हाथ भी कुछ ना लगी वो हाथ मलते रह जाते हैं। कैसी ये दुनिया है लोग मां- बाप को भूल जाते हैं।। दिन रात मां मेहनत करती करती नहीं आराम सही। बेटे के लालन पालन में बाप भी कुछ कम नहीं।। बेटे को भरपेट खिला वो बिन खाए सो जाते हैं। कैसी ये दुनिया है लोग मां- बाप को भूल जाते हैं।। बेटा जब बड़ा हो जाता अपने दम खड़ा हो जाता। फिर बड़े खुशी से मां- बाप बेटे की शादी रचाते हैं। कैसी ये दुनिया है लोग मां- बाप को भूल जाते हैं।। बेटे बहू अब यह कहते बहुत किए आप काम सारा, करिए अब आराम जरा। फिर कुछ ही दिन में मां बाप को लात मार भगाते हैं।। कैसी ये दुनिया है लोग मां- बाप को भूल जाते हैं।। दर दर मां बाप भटकते हरिनंदन है ये बात सही। ६० और ७० की उम्र में हो ना पाए काम कोई।। पेट की आग बुझती...
आओ चलें पारियों के गांव में
कविता

आओ चलें पारियों के गांव में

********** लक्ष्मीकांत मुकुल रोहतास (बिहार) आओ चलें पारियों के गांव में नदिया पर पेड़ों की छाँव में सूखी ही पनघट की आस है मन में दहकता पलास है बेड़ी भी कांपती औ’ ज़िन्दगी सिमटी लग रही आज पांव में अनबोले जंगल बबूल के अरहर के खेतों में भूल के खोजें हम चित्रा की पुरवाई बरखा को ढूँढते अलाव में बगिया में कोयल का कूकना आँगन में रचती है अल्पना झुटपुटे में डूबता सीवान वो रिश्ते अब जलते अब आंव में डोल रही बांसों की पत्तियां आँखों में उड़ती हैं तीलियाँ लोग बाग़ गूंगे हो गए आज टूटते रहे हैं बिखराव में लेखक परिचय :- लक्ष्मीकांत मुकुल जन्म – ०८ जनवरी १९७३ निवासी – रोहतास (बिहार) शिक्षा – विधि स्नातक संप्रति - स्वतंत्र लेखन / सामाजिक कार्य। किसान कवि/मौन प्रतिरोध का कवि। कवितायें एवं आलेख विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित, पुष्पांजलि प्रकाशन, दिल्ली से कविता संकलन “लाल चोंच वाले पंछी’’ प्रक...
प्रेम धुन सुन रही
कविता

प्रेम धुन सुन रही

*********** भारती कुमारी (बिहार) कुछ उम्मीदें बुन रही, शरद चाँदनी पी रही, मन हीं मन जी रही, प्रिये तुझे चुन रही, प्रेम धुन सुन रही। खुद में सिमट रही, हृदय कुछ कह रही, धरती से अम्बर तक, तुझे हीं मन ढूंढ रही, प्रेम धुन सुन रही। नयन प्रेम पथ निहारती, बस पल-पल पुकारती, आ जाओ अब प्रिये, मन मधुर प्रीत में खो रही, प्रेम धुन सुन रही। . लेखक परिचय :-  भारती कुमारी निवासी - मोतिहारी , बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें...
हिन्दी की अभिलाषा
कविता

हिन्दी की अभिलाषा

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार हिन्दी की अभिलाषा है ये सम्पूर्ण एक भाषा है हिन्दी मे सादगी है हिन्दी मे है अपनापन हिन्दी हमारी आशा है हिन्दी की अभिलाषा है हिन्दी के है छन्द निराले लगते जैसे रस के प्याले हिन्दी नही तो निराशा है हिन्दी की अभिलाषा है गद्य पद्य दोनों रूप अनोखे लगते ठंडी हवा के झोंके हिन्दी छात्र की जिज्ञासा है हिन्दी की अभिलाषा है होता पूर्ण व्याकरण ज्ञान बढाता है जग में सम्मान हिन्दी स्वर्ण तराशा है हिन्दी की अभिलाषा है कभी कविता कभी कहानी सुनते कवियों की जुबानी हिन्दी बिना हताशा है हिन्दी की अभिलाषा है ये सम्पूर्ण एक भाषा है . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
तुम आओगे बस आंखों में ये ख्वाब पालते रहते हैं
कविता

तुम आओगे बस आंखों में ये ख्वाब पालते रहते हैं

********** वंदना शर्मा झालावाड़ (राजस्थान) यादों का बिछौना करके हम, दिन -रात तड़पते रहते हैं। तुम आओगे बस आँखों में, ये ख्वाब पालते रहते हैं।। माना कि मैं सुन्दर तो नहीं, तुम चाहो जिसे मैं वो भी नहीं। मैं मीराँँ सी दीवानी नहीं और गोपियों सी मस्तानी नहीं। फिर भी मन-मंदिर में प्रियतम, हम तुझे सजाते रहते है।। तुम भूल गए उन यादों को, पहली बरसात की बूँदों को । वो मिलना -जुलना छुप-छुपकर, सावन के प्यारे झूलों को । हम आज तलक उन झूलों पर, बस तुम्हें झुलाते रहते हैं।। तुझको जो दिए उन वचनों पे, अब तक भी यार समर्पित हैं। सास-ससुर ,परिवार की सेवा, में हर स्वाँस समर्पित है। तुझको जो थी कसम सदा, हम दिल से निभाते रहते हैं।। आँखों के अश्रु जमते गए, जम जमकर प्रिय पहाड़ बने। इस पर्वत से नदियां निकलेगी ,और बाड़ कहीं आ जाएगी । बनके मोरनी बिलख-बिलख बादल को निहारा करते हैं।। हम भोर सँवर कर के प्रियतम, हर रोज...
अपने पथ पर बढता चल
कविता

अपने पथ पर बढता चल

********** स्वाति जोशी पुणे समर नहीं ये महायज्ञ है अर्घ्य नहीं ये अभिषेक है तृण नहीं ये समिधाएं है अपनी आहुति देता चल, अपने पथ पर बढता चल।। प्रणव नाद का स्पंदन सुन श्वास मधुर सरगम की धुन हृदय ताल पर कर नर्तन नाद ब्रह्म में बह अविरल अपनी लय में गाता चल, अपने पथ पर बढता चल।। कर विशेष अब जो है शेष मन-मानस में हो संवेद कृति व कृत्य का दुर्गम मेल जीवन तत्वों का सारा खेल तू अपने पटल पर खेलता चल अपनी धुन में रमता चल।। अपने पथ पर बढ़ता चल... अपने पथ पर बढता चल... . लेखीका परिचय :-  नाम - स्वाति जोशी निवासी - पुणे शिक्षा - स्नातकोत्तर ( प्राणिशास्त्र), पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से स्नातक (एकवर्षीय पाठ्यक्रम) लेखन कार्य - स्वतंत्र लेखन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच ...