अपना सा
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रचयिता : माधुरी शुक्ला
एक दोस्त की तरह
नायाब हीरा है
जिनकी चमक से
चेहरे पर उजाला
भर जाये।।
बातो के जादूगर है
यो मीठे बोल भी
मिश्री सी मिठास
घोल देती ।
जब भी आते है
कुछ नया रंग
नए रूप में आते है
जैसे भी आते है
उमंग से भरपूर
नजर आते हैं।।
काश की, काश कि
पहले आ जाते
तो थोड़ा हम
भी आशिकी कर
जाते, तो थोड़ा सा सही
रुमानियत से हो जाते।
वजूद और कद से
बहुत बड़े है
हम अदने से होकर
आपके लिए क्या
कहे, नाचीज जो हूँ।।
लेखीका परिचय :-
नाम - माधुरी शुक्ला
पति - योगेश शुक्ला
शिक्षा - एम .एस .सी.( गणित) बी .एड.
कार्य - शिक्षक
निवास - कोटा (राजस्थान)
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