मैं जब भी जाऊंगी
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
********************
जब भी जाऊंगी,
कोई प्रश्न अधूरा
नहीं छोड़ूगीं,
पूर्ण विराम लगा
कर जाऊँगी!
अर्धविराम रिश्तों को
जीवित नहीं रहने देता है,
जीवन मे समर्पण
होना चाहिए!
प्रेम जीवन का आदि
और अंत दोनों होता है!
प्रेम में अधूरेपन की
कोई जगह नहीं होती
उसमे पूर्ण समर्पण
होना चाहिए,
अपने आराध्य के प्रति
संपूर्ण समर्पण!
दिल मे कोई दुविधा नहीं,
मन मे कोई प्रश्न नहीं,
प्रेम स्पष्ट निर्णय
होना चाहिए!
शांत भाव से भीतर
ही मिट जाना,
फिर शब्दों मे कोई
ठहराव नहीं होता!
कोई अपूर्णता नहीं
छोड़कर जाऊँगी,
प्रेम की परिभाषा पूर्ण
करके विदा होऊँगी!!
परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवा...





















