जिंदगी
देवप्रसाद पात्रे
मुंगेली (छत्तीसगढ़)
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सुख और दुख का डेरा है जिंदगी।
उजाला तो कभी अंधेरा है जिंदगी।।
छांव कहीं तपती धूप है जिंदगी।
माथे चंदन कहीं धूल है जिंदगी।।
मशहूर कहीं बदनाम है जिंदगी।
सुबह तो कहीं शाम है जिंदगी।।
टूटना हारना और है बिखरना जिंदगी।
गिरकर खुद ही सम्भलना है जिंदगी।।
कहीं छल-कपट से घिरी है जिंदगी।।
दुश्मन कहीं अपनों से भिड़ी है जिंदगी।।
झूठी आशाओं से उदास है जिंदगी।
कहीं उम्मीदों की आवाज है जिंदगी।।
खुशियाँ तो कहीं गमों का भंडार है जिंदगी।
कड़वाहट तो कहीं मीठे रस की धार है जिंदगी।।
माना कि हर कदम इम्तिहान है जिंदगी।
पर फर्ज निभाते रहें तो आसान है जिंदगी।।
परिचय : देवप्रसाद पात्रे
निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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