कलियुग की बलिहार
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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नारी अस्मत लूटते, बात बडी गंभीर।
भूले नर संस्कार हैं, कैसी है ये पीर।।
देख पुकारे द्रोपदी, खतरे में है लाज।
दुःशासन हर ओर है, ठौर न मिलती आज।
कलियुग की बलिहार है, कैसा है संसार।
नारी विपदा में बड़ी, होता नित्य प्रहार।।
मानवता अब रो रही, पाँव पडी जंजीर।
नारी अस्मत लूटते, बात बडी गंभीर।।
बने पुजारी वासना, दुश्मन है ये देह।
अब समूल यह नष्ट हो, इनसे कैसा नेह।।
काँप रही अब नार है, नाव पडी मझधार।
दानव अब शूली चढें, जो धरती पर भार।।
दया दृष्टि प्रभु जी करो, दृग से बहता नीर।
नारी अस्मत लूटते, बात बडी गंम्भीर।।
नर पिशाच ही अब करें, नारी का अपमान।
संतति संस्कारित न हो, तो बोझ खानदान।।
जब कुकृत्य बच्चे करें, दंडित हों हर बार।
मात मिलेगी अब इन्हे, नारी की ललकार।।
अबला से सबला बनी, नारी बहुत अधीर।
ना...