‘दम्भ अपार’- पहेली बूझो तो जानें
अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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अनगढ़-मनबढ़ एक चलत गजराज करत हुड़दंग,
दंभ से चूर उलीचत धूर मूढ़ बिरझात चिंघाड़त।
शक्ति सम्पन्न देह नहीं धीर भरे घरमण्ड,
कहत निज काज राज कै ख़ातिर क्रोध प्रचंड।
उजाड़त बाग छांव जस बाँस-साँस भ्रम पाल,
बनो महीपाल खींच जयमाल स्वयं मय स्वयं उघारत।
समुझत पालनहार जिला कै धीश झुकावत शीश,
डरे सब लोग बियाहत जोड़-तोड़ मण्डप से भागत।
मूरख करत बखान है 'अनुपम' ज्ञान राज विपदा ना आवत,
जे विवेक के हीन बौद्धि जिम बाज मीन से शान बतावत।
लीलत पग झषराज खींच मुख फाड़ नक्र जस नाच नचावत,
उतरत गर्व अपार क्षमा पुनि माँग हृदय तब नाथ पुकारत।
गजराज-हाँथी..
झषराज, नक्र- मगर..
परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम - अर्चना अनुपम
मूल निवासी - जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवा...