साधना के गीत गाओ
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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नाम प्रभु का उर बसाकर,
साधना के गीत गाओ।
बन पुजारी सत्य के तुम,
विश्व को संयम सिखाओ।।
लेखनी चलती रहे यह,
ज्ञान की रसधार भी हो।
छंद रस बरसात निशदिन,
जीत का गलहार भी हो।।
हों सफल हर क्षेत्र में हम,
अल्पना ऐसी बनाओ।
बुद्धि निर्मल हो मिले यश,
दूर हों अवसाद सारे।
पुष्प आशा के खिलें फिर,
स्वप्न हों साकार प्यारे।।
प्रेम का विस्तार हो अब,
मोहिनी पिक-ध्वनि सुनाओ
छाँव देदो प्रेम की तुम,
भाव कुत्सित त्याग प्यारे।
दंभ छल से मोड़ दो मुख,
कर्म हों निष्काम सारे।।
धर्म की लहरे ध्वजा फिर,
तुम अलख ऐसी जगाओ
है तृषित धरती बड़ी यह,
आपसी सौहार्द टूटे।
लुप्त सब संवेदनाएँ,
शांति के घट आज फूटे।।
है व्यथित माँ भारती भी,
दीप जागृति के जलाओ।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प...