कर्मो का हिसाब है जिदंगी
मनीषा जोशी
खोपोली (महाराष्ट्र)
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कभी-कभी उदासी की, आग है जिदंगी।
कभी-कभी खुशियों का, बाग है जिदंगी ।
हँसता और रूलाता, राग है जिदंगी।
खट्टे-मीठे अनुभवों, का स्वाद है जिदंगी।
चंद लम्हों को पाने की होड़ है जिदंगी।
रिश्तों में, एक खूबसूरत मोड़ है जिदंगी।
कोरे कागज पर लिखी, किताब है जिदंगी।
प्यार का एक महकता गुलाब है जिंदगी।
जागी आंखों का एक ख्वाब है जिंदगी।
अपने किऐ हुए, कर्मो का हिसाब है जिदंगी।
परिचय : मनीषा जोशी
निवासी : खोपोली (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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