बेरहम दुनिया
आशीष तिवारी "निर्मल"
रीवा मध्यप्रदेश
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दिल के ज़ख्म बड़े ही गहरे निकले
सबकी तरह तुम भी गूँगे बहरे निकले।
तुम ही तो थे गवाह मेरी बेगुनाही के
तुम्हारी ज़ुबाँ पे सौ-सौ पहरे निकले।
तुमपे किया निसार दिल-ओ-जाँ कभी
तुमने दिये जो घाव हमेशा हरे निकले।
इसीलिए ठहरा हुआ हूँ बेरहम दुनिया में
वालिदैन के कुछ ख्वाब सुनहरे निकले।
किरदार निभा रहे लोग यहाँ रंगमंच पे
तन्हाई में आंख से कंठ तक भरे निकले।
सीने में छिपाए बैठे हैं वो भी दर्द हजारों
दुनिया की नज़रों में जो मसख़रे निकले।
परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक स...


















