कयामत की रात
माधुरी व्यास "नवपमा"
इंदौर (म.प्र.)
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कयामत तक न भूलेगी,
वो क़यामत की रात।
दिल को कँपाती, डराती हुई
वो तूफानी सी रात।
कैसे गिर पड़ा था,
आंधी से वो बूढ़ा पीपल,
बिजली के तारों में,
उलझा हुआ था बेतल।
दिल की धड़कन को
बढ़ाती हुई डराती सी वो रात।
कयामत तक नहीं भूलेगी,
वो क़यामत की रात,
दिल को कँपाती, डराती हुई,
वो तूफानी सी रात।
देखा गुस्से से गरजता,
पानी में सुलगता वो बादल
हर इक शे से टकराता
हो कोई भटकता पागल
एक अनजान डर को
डराती , घबराती सी वो रात
कयामत तक नहीं भूलेगी,
वो क़यामत की रात।
दिल को कँपाती, डराती हुई,
वो तूफानी सी रात।
हाय वो धोखे से जाना,
अचानक यूँ उसका,
लौटकर वापस फिर
कभी ना आना उसका,
लूटकर जैसे मुझ को
जाती हुई फरेबी सी वो रात
कयामत तक नहीं भूलेगी,
वो क़यामत की रात।
दिल को कँपाती, डराती हुई,
वो तूफ़ानी सी रात।
परिचय :- माधुरी व्यास "नवपमा"
निवासी - इंदौर म.प्र.
सम्प्...






















