मेरी आरज़ू
निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
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अरकान- मु-त-फ़ा-इ-लुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
मेरी आरज़ू रही आरज़ू युँ ही उम्र सारी गुज़र गई।
मैं कहाँ-कहाँ न गया दुआ मेरी बे-असर ही मगर गई।।
की तमाम कोशिशें उम्र भर न बदल सका मैं नसीब को।
गया मैं जिधर मेरे साथ ही मेरी बेबसी भी उधर गई।।
चली गुलसिताँ में जो आँधियाँ तो कली-कली के नसीब थे।
कोई गिर गई वहीं ख़ाक पर कोई मुस्कुरा के सँवर गई।।
वो नज़र जरा सी जो ख़म हुई मैंने समझा नज़र-ए-करम हुई।
मुझे क्या पता ये अदा थी उनकी जो दिल के पार उतर गई।।
मेरे दर्द-ए-दिल की दवा नहीं मेरा ला-इलाज ये मर्ज है।
मुझे देखकर मेरी मौत भी मेरे पास आने में डर गई।।
ये तो अपना अपना नसीब है कोई दूर कोई करीब है।
न मैं दूर हूँ न करीब हूँ युँ ही उम्र मेरी गुज़र गई।।
ये खुशी निज़ाम कहाँ से कम कि हैं साथ अपने ...