मधुर मिलन
रजनी गुप्ता "पूनम"
लखनऊ
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उर्मिला से पूछो,
कैसे रही होगी लक्ष्मण बिन,
यशोधरा से पूछो
कैसे रही होगी गौतम बिन,
राधा से पूछो
कैसे रही होगी मोहन बिन
मीरा से पुछो
जो पी गई विष का
प्याला घनश्याम बिन,
मैं विरहन भी रहूँ कैसे
अपने प्रियतम प्यारे बिन,
न गजरा न केश सँवारूँ
न कजरे की धार निहारूँ,
लाली बिंदी पड़ गए सूने
गाल गुलाबी आओ छूने,
पायल के सुर फीके पड़ गए
बोल कंगन के धीमे पड़ गए,
दिन बीते है रीते रीते
रैन सुहानी जगते बीते,
कार्तिक पूनो डस रही है
मन पर मेरा बस नहीं है,
धड़कन की धक-धक है रूठी
बिन पिया के लगती झूठी,
कौन साधना भंग कर रही
तुम्हें कहाँ मैं तंग कर रही,
मधुर मिलन की चाह जगी है
तुमसे ही मेरी लगन लगी है,
होठों पर बस आह बसी है
गायब इनकी हुई हँसी है,
हमको अपना गेह बता दो!!
तुम भी अपना नेह जता दो।।
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परिचय : नाम :- पूनम गुप्ता
साहित्यिक नाम :- रजनी गुप्ता 'पूनम'
पिता :- श...



















