मोड़ आया तो
===================
रचयिता : सतीश राठी
मोड़ आया तो जुदा होने का मौका आया
सीप से मोती विदा होने का मौका आया
वह कली खिल गई और फूल बनी तो
उसकी खुशबू में नहाने का है मौका आया
जो जगह वह पा न सका फकीर बन कर
बना इंसान तो खुदा होने का मौका आया
गलतियों के खिलाफ जब उठेंगे हाथ सभी
यह समझ लेना गदा होने का मौका आया
पीठ पर धूप को लादे हुए जाएं कब तक
झुकी है शाम तो विदा होने का मौका आया
लेखक परिचय :- नाम : सतीश राठी
जन्म : २३ फरवरी १९५६ इंदौर
शिक्षा : एम काम, एल.एल.बी
लेखन : लघुकथा, कविता, हाइकु, तांका, व्यंग्य, कहानी, निबंध आदि विधाओं में समान रूप से निरंतर लेखन। देशभर की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन।
सम्पादन : क्षितिज संस्था इंदौर के लिए लघुकथा वार्षिकी 'क्षितिज' का वर्ष १९८३ से निरंतर संपादन। इसके अतिरिक्त बैंक कर्मियों के साहित्यिक संगठन प्राची के लिए 'सरोकार' एवं 'लकीर' पत्...