विछोह की पीड़ा
सौरभ कुमार ठाकुर
मुजफ्फरपुर, बिहार
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पता नही किस शहर में,
किस गली तुम चली गई।
मै ढूँढ़ता रह गया, तुम छोड़ गई।
पता नही हम किस मोड़ पर
फिर कभी मिल पाएँगे।
इस अनूठी दुनिया में फिर
किस तरह से संभल पाएँगे।
पता नही तेरे बिन हम,
जी पाएँगे या मर जाएँगे।
हम बिछड़ गए उस दिन, जिस दिन
तुम मुझसे मिलने वाली थी
मै तुमसे मिलने वाला था।
इस अंधी दुनिया ने कभी
हमको समझा ही नही।
काश समझ पाती दुनिया,
तो हम कभी बिछड़ते ही नही।
प्यार करते थे हम तुमसे,
पर कभी कह ही न पाएँ।
आज भी सोचता हूँ की,
काश वो दिन वापस लौट आए।
बहुत समय लगा दिया हमने इजहार में।
कब तक भटकेंगे हम तेरे इन्तजार में।
हम बिछड़ गए थे उस दिन, जिस दिन,
तुम मुझसे मिलने वाली थी,
मै तुमसे मिलने मिलने वाला था।
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परिचय :-
नाम- सौरभ कुमार ठाकुर
पिता - राम विनोद ठाकुर
माता - कामिनी देवी
पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बि...
















